June 26, 2025
Entertainment

पुण्यतिथि विशेष : सिने जगत को ‘यश’ देने वाले निर्माता

Death anniversary special: The producer who gave ‘fame’ to the film industry

26 जून, एक ऐसी तारीख जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक दिग्गज निर्माता यश जौहर की पुण्यतिथि के रूप में दर्ज है। 26 जून 2004 को 74 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कहने वाले यश जौहर ने अपनी फिल्मों और धर्मा प्रोडक्शंस की स्थापना के जरिए बॉलीवुड को नई ऊंचाइयां दी।

उनकी भव्य सिनेमाई शैली, पारिवारिक मूल्यों से ओतप्रोत कहानियां और उभरते सितारों को मौका देने की कला ने उन्हें सिने प्रेमियों के दिलों में अमर कर दिया।

यश जौहर का जन्म 6 सितंबर 1929 को अविभाजित भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान) में पंजाबी परिवार में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया। यहां उनके पिता ने ‘नानकिंग स्वीट्स’ नाम से मिठाई की दुकान खोली। नौ भाई-बहनों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे होने के कारण यश को दुकान का हिसाब-किताब संभालने की जिम्मेदारी मिली, लेकिन उनका मन इसमें नहीं रमा। उनकी मां ने उनकी बेचैनी को समझा और अभिनय के प्रति उनकी रूचि को देखते हुए मुंबई जाने का रास्ता दिखाया। उनकी मां ने यश को सिनेमाई दुनिया में कदम रखने का हौसला दिया।

मुंबई पहुंचकर यश ने पत्रकारिता और फोटोग्राफी में हाथ आजमाया। 1950 के दशक में उन्होंने एक समाचार पत्र में फोटोग्राफर बनने की कोशिश की, लेकिन यह आसान नहीं था। एक मौका तब मिला जब ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग के दौरान उन्होंने मधुबाला की तस्वीरें खींचीं। मधुबाला, जो किसी को आसानी से तस्वीरें खींचने की इजाजत नहीं देती थीं, यश की फर्राटेदार अंग्रेजी और पढ़े-लिखे व्यक्तित्व से इतनी प्रभावित हो गईं कि उन्होंने न केवल तस्वीरें खींचने की अनुमति दी, बल्कि उन्हें अपना गार्डन भी दिखाया। इस मुलाकात ने यश को फिल्म इंडस्ट्री में पहला ब्रेक दिलाया।

यश ने अपने करियर की शुरुआत 1952 में सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस ‘अजंता आर्ट्स’ से की, जहां उन्होंने ‘मुझे जीने दो’ और ‘ये रास्ते हैं प्यार के’ जैसी फिल्मों में सहयोगी के तौर पर काम किया। इसके बाद वह देवानंद की ‘नवकेतन फिल्म्स’ से जुड़े, जहां उन्होंने ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘प्रेम पुजारी’ और ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ जैसी क्लासिक फिल्मों में प्रोडक्शन का जिम्मा संभाला।

‘गाइड’ (1965) में उनकी भूमिका ने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित किया, जो भारतीय सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में से एक है।

1976 में यश ने अपनी महत्वाकांक्षा को नया आयाम दिया और ‘धर्मा प्रोडक्शंस’ की स्थापना की। उनका धार्मिक स्वभाव उनके प्रोडक्शन हाउस के नाम में झलकता है। धर्मा की पहली फिल्म ‘दोस्ताना’ (1980) थी, जिसमें अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और जीनत अमान जैसे सितारों ने काम किया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही। हालांकि, इसके बाद ‘दुनिया’, ‘अग्निपथ’ और ‘गुमराह’ जैसी फिल्में औसत रहीं, लेकिन यश की कहानी कहने की शैली और भव्य सेट्स ने हमेशा दर्शकों का ध्यान खींचा।

करण जौहर और धर्मा का नया युग यश जौहर की असली विरासत तब चमकी जब उनके बेटे करण जौहर ने धर्मा प्रोडक्शंस की कमान संभाली। करण की पहली फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ (1998) ब्लॉकबस्टर रही, जिसमें शाहरुख खान, काजोल और रानी मुखर्जी ने लीड रोल में हैं। यश ने अपने बेटे के साथ ‘कभी खुशी कभी गम’ (2001) और ‘कल हो ना हो’ (2003) जैसी फिल्मों में साथ काम किया। ‘कल हो ना हो’ यश की आखिरी फिल्म थी, जिसने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। यश की फिल्मों में भारतीय संस्कृति, पारिवारिक मूल्य और इमोशंस का ताना-बाना हमेशा दिखा।

यश की निजी जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। उन्होंने निर्माता-निर्देशक बी.आर. चोपड़ा और यश चोपड़ा की बहन हीरू जौहर से शादी की। एक किस्सा मशहूर है कि यश ने दिलीप कुमार, देवानंद और राज कपूर जैसी हस्तियों के सामने हीरू को प्रपोज किया था। 20 मई 1971 को दोनों परिणय सूत्र में बंधे थे।

26 जून 2004 को यश जौहर का मुंबई में कैंसर और सीने के संक्रमण के कारण निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद करण ने धर्मा प्रोडक्शंस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आज धर्मा प्रोडक्शंस बॉलीवुड के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउसों में से एक है।

Leave feedback about this

  • Service