शिमला, 4 अगस्त हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या रविवार को मंडी और शिमला जिलों से चार शव बरामद होने के साथ ही बढ़कर 13 हो गई है।
31 जुलाई की रात को कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपमंडल में बादल फटने की घटनाओं के बाद 40 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सोनम (23) और तीन महीने की मानवी के शव मंडी जिले के पधर क्षेत्र के राजभान गांव से बरामद किए गए। शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी ने बताया कि शाम को रामपुर में सतलुज नदी के किनारे ढकोली के पास दो शव बरामद किए गए। उनकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।
अधिकारियों ने बताया कि बचावकर्मियों ने अधिक मशीनरी, खोजी कुत्तों का दस्ता, ड्रोन और अन्य उपकरण तैनात करके तलाशी अभियान तेज कर दिया है।
हालांकि बचाव अभियान अभी भी जारी है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि शिमला और कुल्लू की सीमा पर स्थित तीन गांवों – समेज, धारा सरदा और कुशवा में त्रासदी के बाद से बिजली नहीं है।
अधिकारियों के अनुसार, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, हिमाचल प्रदेश पुलिस और होमगार्ड की टीमों के 410 बचावकर्मी इस खोज अभियान में शामिल हैं।
चार और जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं और बचाव कार्य जोरों पर चल रहा है। सरपारा के उपप्रधान सीएल नेगी ने बताया कि पानी का बहाव कम होने के बाद अब मशीनें उस जगह पर पहुंच गई हैं, जहां लापता लोगों के मिलने की संभावना है।
रामपुर उपमंडल के सरपारा ग्राम पंचायत के समेज गांव में 30 से अधिक लोग लापता हैं। एक ग्रामीण मेघवा देवी ने बताया कि बुधवार रात को आई बाढ़ के बाद से तीन गांवों में बिजली नहीं है और सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने आज समेज गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया तथा आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की।
राज्य सरकार ने शुक्रवार को पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की और कहा कि उन्हें गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे।
27 जून को मानसून के आगमन से लेकर 4 अगस्त तक पहाड़ी राज्य को 662 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, वर्षाजनित घटनाओं में 85 लोगों की जान जा चुकी है।