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थोक महंगाई दर में कमी से देश में विकास और मांग को मिलेगा बूस्ट : इंडस्ट्री

Decrease in wholesale inflation rate will boost development and demand in the country: Industry

उद्योग विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति में लगातार सातवें महीने गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। इससे कंपनियों की परिचालन लागत कम होगी, घरेलू मांग बढ़ेगी और आर्थिक विकास को समर्थन मिलेगा।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि दिसंबर 2024 से थोक मुद्रास्फीति में लगातार नरमी उत्साहजनक है और यह व्यापक आर्थिक स्थितियों में सुधार को दर्शाती है।

उन्होंने बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 के 2.57 प्रतिशत से घटकर जून 2025 में (-)0.13 प्रतिशत हो गई है, जिससे सभी क्षेत्रों में कारोबारी धारणा मजबूत हुई है।

जैन ने कहा, “कीमतों में यह नरमी व्यवसायों को लागत का बेहतर प्रबंधन करने में मदद करेगी और उपभोग-आधारित विकास को बढ़ावा दे सकती है।”

उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती घरेलू मांग, सामान्य मानसून की उम्मीद और मजबूत आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है।

जैन ने कहा, “हमारा अनुमान है कि मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति मध्यम बनी रहेगी।”

थोक महंगाई दर जून में गिरकर (-)0.13 प्रतिशत हो गई है। इसकी वजह खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी आना है।

इस साल की शुरुआत से यह पहला मौका है जब थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर नकारात्मक स्तर और 14 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। मई में थोक महंगाई दर 0.39 प्रतिशत थी।

थोक महंगाई के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए आईसीआरए के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि जुलाई में खाद्य पदार्थों की कीमतों में मौसमी वृद्धि अब तक मामूली रही है और अगर सब्जियों की कीमतों में अचानक वृद्धि नहीं होती है, तो खाद्य मुद्रास्फीति अपस्फीति क्षेत्र में ही रह सकती है।

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और स्थिर अमेरिकी डॉलर/रुपए की विनिमय दर से मौजूदा अपस्फीति प्रवृत्ति को समर्थन मिलने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, हमारा अनुमान है कि जुलाई 2025 में भी मुख्य थोक मूल्य सूचकांक अपस्फीति में ही रहेगा।”

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