अयोध्या, 30 अक्टूबर रामनगरी अयोध्या में इस वर्ष का दीपोत्सव एक ऐतिहासिक पर्व बन गया है। प्रभु श्रीरामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद इस पर्व ने संतों और श्रद्धालुओं में एक विशेष उत्साह उत्पन्न किया है। अयोध्या के संत समाज ने इस दीपोत्सव पर विशेष हर्षोल्लास व्यक्त करते हुए इसे एक अद्वितीय आयोजन बताया है, जो 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद संभव हुआ है।
अयोध्या के दशरथ महल के महंत बिंदु गद्याचार्य स्वामी देवेन्द्र प्रसादाचार्य ने दीपोत्सव को सनातन धर्म की धरोहर बताया। उन्होंने कहा, “दीपावली और दीपोत्सव सनातन धर्म का आधार हैं और इस बार का दीपोत्सव विशेष है क्योंकि प्रभु श्रीराम का अयोध्या में अपने धाम पर पुनः आगमन हुआ है। यह दीपोत्सव हमारे प्रभु श्रीराम को आस्था और श्रद्धा व्यक्त करने का एक अद्वितीय अवसर है, जिससे संतजन हर्षित और पुलकित हैं।” संतों का मानना है कि अयोध्या वही दृश्य फिर से प्रस्तुत कर रही है, जो त्रेतायुग में श्रीराम के आगमन पर देखने को मिला था।
संत समाज ने मौजूदा योगी सरकार का आभार भी व्यक्त किया है। उनका मानना है कि श्रीरामलला के पुनः विराजमान होने का यह दिव्य अवसर सरकार के प्रयासों का परिणाम है। संतों का कहना है कि सरकार ने अयोध्या की इस धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को फिर से संजीवित किया है, जिससे संपूर्ण संत समाज में प्रसन्नता है।
चौभुजी मंदिर के महंत बृजमोहन दास महाराज ने दीपोत्सव के इस अद्वितीय अवसर पर अपनी रचित पंक्तियों के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त की। उनका कहना है कि श्रीरामलला के अयोध्या में विराजमान होने से न केवल संत समाज, बल्कि अयोध्या की पूरी जनता गर्वित है और इस दीपोत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है।
बधाई भवन मंदिर के संत महंत राजीव लोचन शरण महाराज ने कहा, “जैसे त्रेतायुग में भगवान के अयोध्या आगमन पर जो दिव्य दृश्य था, वह आज पुनः हमारे सामने है। हम संतजन इस ऐतिहासिक क्षण को देखकर हर्षित हैं और इस दीपोत्सव में अद्वितीय उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं।”
अयोध्या में सरयू तट से लेकर श्रीराम लला मंदिर और अन्य विभिन्न मंदिरों में दीप जलाकर इस अद्वितीय दीपोत्सव को मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। संत समाज, श्रद्धालुओं और सरकार के सामूहिक प्रयासों से यह दीपोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व में अयोध्या की दिव्यता और आस्था का संदेश भी प्रसारित कर रहा है। इस ऐतिहासिक दीपोत्सव में संतों की भावनाएं और आस्था झलक रही हैं, जो अयोध्या को एक विशेष आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान कर रही है।