दिल्ली पुलिस ने पॉकेटमारी और साइबर धोखाधड़ी के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में दिल्ली के नजफगढ़ थाना और द्वारका जिले की एक संयुक्त पुलिस टीम ने 6 आरोपियों को गिरफ्त में लिया। फिलहाल तीन आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जांच में पता चला कि एक पीड़ित व्यक्ति के बैंक खातों से फर्जी यूपीआई ट्रांजैक्शन किए गए, जिनमें इस्तेमाल हुआ मोबाइल नंबर उत्तराखंड से सक्रिय था। टीम ने शिकायतकर्ता के बैंक खाते के विवरण का विश्लेषण किया और सामने आया कि अधिकतर लेनदेन उत्तराखंड में ही किए गए। शुरुआती जानकारी से श्याम कुमार नामक व्यक्ति सामने आया, जिसने पूछताछ में बताया कि वो ये लेनदेन शशांक नाम के युवक के कहने पर कर रहा था।
पुलिस ने शशांक पुत्र शम्मी आनंद को देहरादून से गिरफ्तार किया, जिसने जानू उर्फ जतिन का नाम लिया। लगातार पूछताछ के दौरान शशांक ने खुलासा किया कि उसने ये लेनदेन अपने दोस्त जानू उर्फ जतिन के कहने पर किया था। इस निशानदेही पर जानू उर्फ जतिन को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। यहां से रितेश का नाम सामने आया। जतिन ने पुलिस को बताया कि उसने ये लेनदेन अपने दोस्त रितेश के कहने पर किया था।
इसी तरह हर कड़ी जोड़ते हुए पुलिस ने बाद में रितेश, कार्तिकेय, अमन और प्रिंस को गिरफ्तार किया। पूछताछ में अमन और प्रिंस ने बताया कि दोनों ने 24 मई को बस नंबर 835 में दिल्ली गेट के पास एक व्यक्ति का मोबाइल चोरी किया था। उसी मोबाइल में मौजूद आधार कार्ड की कॉपी का इस्तेमाल कर फर्जी यूपीआई आईडी बनाकर पीड़ित के खातों से ट्रांजैक्शन किए।
आरोपी घटना के बाद 25 मई से 1 जून तक उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और केदारनाथ में रहे और फिर दिल्ली लौटे थे। फिलहाल 6 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी है।
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