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‘आप’ की मुफ्तखोरी से दिल्ली का विकास नहीं हो सकता: संदीप दीक्षित

Delhi cannot develop due to AAP's freebies: Sandeep Dixit

नई दिल्ली, 12 नवंबर। साल 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सियासी पार्टियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने अपनी पार्टी की तैयारियों पर चर्चा की। साथ ही इंडिया ब्लॉक के अहम घटक आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कई मसलों पर बात की। कहा, 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया था। उस दौरान कांग्रेस के कई लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। उस वक्त उन्होंने सस्ती बिजली, पानी और मुफ्त बस सेवाओं की बात कर जनता का ध्यान खींचा था। इससे कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी के पक्ष में चला गया। लेकिन हमने बार-बार यह कहा था कि दिल्ली को बेहतर बुनियादी ढांचों, सड़क, पुल, मेट्रो, रोजगार और स्वच्छ हवा की जरूरत है और इसके लिए पैसे की आवश्यकता है।

मुफ्तखोरी का आरोप लगाते हुए संदीप दीक्षित आगे बोले, मुफ्तखोरी से दिल्ली का विकास नहीं हो सकता। आज 10 साल बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली के नागरिक अब महसूस कर रहे हैं कि कांग्रेस छोड़ने के बाद जो स्थिति बनी है, वह ठीक नहीं है। अगर हम इस स्मृति को फिर से वोट में बदलने में सफल होते हैं, तो मुझे विश्वास है कि कांग्रेस फरवरी के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। कांग्रेस अब आम आदमी पार्टी की सरकार पर तीखा हमला कर रही है।

इसके बाद उन्होंने दिल्ली के भ्रष्टाचार पर कहा, जहां तक भ्रष्टाचार का सवाल है, यह बड़ा मुद्दा बन चुका है, क्योंकि वह पार्टी जो ईमानदारी का दावा करती थी, आज खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी हुई है। पहले इन लोगों ने कांग्रेस नेताओं पर कई आरोप लगाए, लेकिन अब यह साबित हो गया कि आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद थे और शुरुआत से ही यह पार्टी झूठ बोल रही थी। अब उनके बचाव में जो बातें हो रही हैं, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। दिल्ली के विकास की बात करें, तो वह बिल्कुल नहीं हुआ है। इसलिए, जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर हमें इनसे सवाल करना चाहिए, खासकर उनके भ्रष्टाचार को लेकर, जिसकी बार-बार अदालत में चर्चा हो रही है।

आप के बड़े नेताओं पर हमलावर दीक्षित ने कहा, आप किसी राज्य का उदाहरण दे दीजिए, जहां के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य मंत्री जेल में रहे हों। यही नहीं, यह भी साफ है कि कोर्ट का मानना है कि इनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं, क्योंकि कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अरविंद केजरीवाल को किसी भी सरकारी फाइल से दूर रखा जाए। किस व्यक्ति को सरकारी कामकाज से दूर रखा जाता है। जिस व्यक्ति पर संदेह होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कह दी कि उनके हिसाब इतने ज्यादा शक के घेरे में केजरीवाल हैं, कि वह सरकारी कामकाज नहीं कर सकते। एक तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल पर ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ ला दिया है।

इसके बाद उन्होंने केजरीवाल के पद छोड़ने पर कहा, केजरीवाल को पद तो छोड़ना ही था। जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि आप फाइल साइन नहीं कर सकते, कुर्सी पर नहीं बैठ सकते, दफ्तर नहीं जा सकते, कोई आदेश नहीं दे सकता, तो मुख्यमंत्री बने रहकर क्या ढोल बजाते।

वह फाइलों में हेरफेर करके भ्रष्टाचार नहीं कर पाएंगे तो पद का क्या करेंगे। इसलिए उन्होंने यह पद अपने सबसे भरोसेमंद को दे दिया। आम आदमी पार्टी के नेताओं से बात करके पता चलता है कि आम आदमी पार्टी की सबसे कमजोर नेता को उन्होंने यह पद दिया है। वह महिला किसी के सामने खड़े होकर बात नहीं कर सकती। आतिशी के बनने से चेहरा तो केजरीवाल ही है। उनकी नाकामी नहीं छिप सकती। कई मुख्यमंत्रियों ने केजरीवाल को बेल दिलाने के लिए आवाज उठाई थी। हमने यह कभी नहीं कहा कि केजरीवाल निर्दोष हैं या भ्रष्ट नहीं हैं।

इसके बाद राहुल गांधी के केजरीवाल का पक्ष लेने पर उन्होंने कहा, अगर हम बात करें कांग्रेस नेताओं की तरफ से केजरीवाल के लिए आवाज उठाने की, तो मैं समझता हूं कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने हमेशा मानवाधिकारों के पक्ष में खड़ा होने की कोशिश की है। वे कभी नहीं कहते कि कोई व्यक्ति निर्दोष है, लेकिन यदि किसी को बिना आरोप सिद्ध हुए जेल में रखा जाता है, तो उनका समर्थन हमेशा कानून के साथ होता है। लेकिन जब बात कांग्रेस या हमारे नेताओं की होती है, तो क्या केजरीवाल ने कभी हमारी मदद की? जब कांग्रेस सरकार के नेताओं को डराकर और धमकाकर जेल में डाला गया, क्या केजरीवाल ने एक शब्द कहा? जबकि वह गठबंधन में हैं, लेकिन गठबंधन का धर्म निभाना उन्हें समझ में नहीं आता।

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