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दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत निर्माणों से निपटने को एमसीडी से व्यवस्थित, पारदर्शी तंत्र बनाने काेे कहा

Delhi High Court asks MCD to create systematic, transparent mechanism to deal with unauthorized constructions

नई दिल्ली, 30 नवंबर  । दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से आग्रह किया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत निर्माणों के बारे में शिकायतों के समाधान के लिए एक व्यवस्थित, पारदर्शी और समतापूर्ण तंत्र स्थापित करे।

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र की जरूरत पर जोर दिया कि एमसीडी द्वारा की गई कार्रवाई व्यवस्थित, पारदर्शी और निष्पक्ष हो। अदालत में लगातार दायर होने वाले मामलों को संबोधित करते हुए जहां शिकायतकर्ता कई शिकायतों के बावजूद कार्रवाई की कमी का आरोप लगाते हैं।

अदालत एक महिला और उसके दो नाबालिग बच्चों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दक्षिण जोन के उपायुक्त के आदेश के आधार पर एमसीडी द्वारा उनके घर के दो कमरों को सील करने को चुनौती दी गई थी।

यह आदेश संपत्ति पर अनधिकृत निर्माण से संबंधित था।

न्यायमूर्ति जालान ने एमसीडी को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें अनधिकृत निर्माणों के बारे में शिकायतें दर्ज करने की प्रक्रिया का विवरण दिया गया हो, जिसमें यह भी शामिल हो कि टेलीफोन या व्यक्तिगत शिकायतों के लिए रिकॉर्ड बनाए रखा गया है या नहीं।

अदालत ने इस बारे में जानकारी मांगी कि एमसीडी शिकायतों, निर्णय लेने की प्रक्रिया और ऐसी प्राथमिकता में विचार किए जाने वाले कारकों के आधार पर कार्यों को कैसे प्राथमिकता देती है।

इसके अलावा, एमसीडी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों के साथ-साथ सीलिंग और विध्वंस के लिए नोटिस जारी करने के लिए प्रस्तावित नोटिस प्राप्तकर्ता की पहचान निर्धारित करने के बारे में विवरण प्रदान करने के लिए कहा गया था।

अदालत ने मौजूदा मामले में एमसीडी की ओर से स्पष्टीकरण की कमी पर गौर किया कि कई मंजिलों पर अनधिकृत निर्माण के निष्कर्षों के बावजूद केवल विशिष्ट मंजिलों पर ही कार्रवाई क्यों की गई।

एमसीडी को दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया और सीलिंग आदेश जारी करने वाले दक्षिण जोन के उपायुक्त को 15 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई के लिए अदालत में पेश होने के लिए कहा गया।

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