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यासीन मलिक को फांसी की मांग: एनआईए की ‘बंद कमरे’ में सुनवाई की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट करेगा विचार

Delhi High Court to consider NIA's plea for in-camera trial demanding Yasin Malik's death penalty

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि वह यासीन मलिक की मौत की सजा की मांग वाले मामले में एनआईए की बंद कमरे में सुनवाई की मांग पर विचार करेगा। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख और कश्मीर अलगाववादी नेता यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एनआईए की उस याचिका पर विचार करने का फैसला किया, जिसमें बंद कमरे (इन-कैमरा) सुनवाई की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने इसके लिए अगली सुनवाई 28 जनवरी 2026 तय की है।

एनआईए ने अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई के लिए एक गैर-सार्वजनिक वर्चुअल कोर्ट लिंक उपलब्ध कराया जाए ताकि कार्यवाही आम जनता की पहुंच से बाहर रहे। एजेंसी का तर्क है कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और सार्वजनिक सुनवाई से संवेदनशील जानकारियां लीक हो सकती हैं।

एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें मलिक को आतंकी फंडिंग के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। एजेंसी का कहना है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए मौत की सजा ही उचित है।

दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने एनआईए की बंद कमरे में सुनवाई की मांग पर विस्तृत विचार करने का फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह अनुरोध उचित प्रतीत होता है, लेकिन अंतिम फैसला बाद में लिया जाएगा।

सुनवाई के दौरान मलिक के वकील ने इन-कैमरा प्रक्रिया का विरोध किया और कहा कि इससे पारदर्शिता प्रभावित होगी।

बता दें कि पूरा मामला 2017 के टेरर फंडिंग केस से जुड़ा है, जिसमें मलिक पर हवाला, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग और जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के आरोप हैं। एनआईए ने दावा किया कि मलिक ने 1990 के दशक में कई हत्याओं और अपहरणों में भूमिका निभाई, जिसमें वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या भी शामिल है। एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में आते हैं और मलिक को मौत की सजा मिलनी चाहिए।

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