January 21, 2025
National

दिल्ली हाईकोर्ट का रेप व आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक साथ सजा चलाने का फैसला

Delhi High Court’s decision to run the sentence together in the case of rape and abetment to suicide

नई दिल्ली, 1 नवंबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के दोषी एक व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 427 का लाभ देते हुए फैसला सुनाया कि दोनों अपराधों के कारण आपस में जुड़े हैं और उन्हें दो अलग-अलग भागों में अलग नहीं किया जा सकता है।

अदालत के आदेश के मुताबिक धारा 427 सी.आर.पी.सी. कारावास की अगली सजा कारावास की पिछली अवधि की समाप्ति पर शुरू करने की अनुमति देता है, जब तक कि अदालत यह निर्देश न दे कि यह साथ-साथ चलेगी।

अदालत ने कहा कि इस प्रावधान द्वारा प्रदत्त क्षेत्राधिकार विवेकाधीन है और इसका प्रयोग इसके द्वारा किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला अपीलकर्ता-अभियुक्त के एक आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसने अनुरोध किया था कि उसकी दोनों सजाएं एक साथ चलाने का निर्देश दिया जाए।

अपीलकर्ता पहले ही साढ़े सात साल से अधिक कारावास की सजा काट चुका है और उसने कहा है कि यदि सजा में बदलाव का उसका अनुरोध स्वीकार कर लिया गया, तो वह अपील को आगे नहीं बढ़ाएगा।

मामले के तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद, अदालत ने उपरोक्‍त आदेश दिया।

मामला 30 वर्षीय एक विवाहित महिला की आत्महत्या के बाद दर्ज किया गया था, जो अपीलकर्ता के साथ काम करती थी और उसके द्वारा कई मौकों पर कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। मामले में अपीलकर्ता को दोषी ठहराया गया था।

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