दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दक्षिण दिल्ली स्थित संजय वन में ऐतिहासिक किले की प्राचीर और कुएं के पुनरुद्धार के साथ-साथ रॉक कैफे का उद्घाटन किया। एलजी सक्सेना ने इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए दी। उपराज्यपाल ने पोस्ट शेयर करते हुए इस ऐतिहासिक पुनरुद्धार के महत्व और सांस्कृतिक धरोहर पर जोर दिया।
वीके सक्सेना ने अपने पोस्ट में लिखा, “दिल्ली दक्षिण दिल्ली स्थित संजय वन में ऐतिहासिक किले की प्राचीर और कुएं के पुनरुद्धार तथा रॉक कैफे के उद्घाटन का अवसर मिला—जहां इतिहास प्राचीन पत्थरों में गूंजता है और प्रकृति अपनी सुंदरता बिखेरती है। यह धरोहर न केवल दिल्ली की ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। इस विशेष अवसर पर सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी और विधायक गजेंद्र सिंह यादव उपस्थित रहे।”
उन्होंने आगे लिखा, “यह संरचना, जो सदियों तक गाद में दबी रही और केवल कुछ जर्जर बुर्ज ही दिखाई देते थे, अब अपनी पुरानी भव्यता में पुनर्जीवित हो चुकी है। इसके वास्तुशिल्पीय स्वरूप को देखते हुए इसे 13वीं-14वीं शताब्दी का माना जाता है, लेकिन लोक कथाओं के अनुसार, यह पृथ्वीराज चौहान के किले और महल का हिस्सा थी। इसके पास स्थित ऐतिहासिक कुआं भी संभवतः उसी युग का है। इसके अलावा, 12वीं शताब्दी में बने क़िला राय पिथौरा और तोमर वंश के अन्य अवशेष भी इस क्षेत्र में देखने को मिलते हैं, जो दिल्ली के गौरवशाली अतीत की झलक पेश करते हैं।”
वीके सक्सेना ने पोस्ट के अंत में लिखा, “दिल्ली विकास प्राधिकरण की सराहनीय मेहनत से इस धरोहर को फिर से जीवंत किया गया है, जिससे न केवल ऐतिहासिक महत्व की संरचनाओं का संरक्षण हुआ, बल्कि पर्यावरण को भी संवारा गया है। अब यह हम सभी दिल्लीवासियों की जिम्मेदारी है कि इस अमूल्य विरासत को सहेजें, इसे स्वच्छ और संरक्षित रखें, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी हमारे गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो सकें। लोगों, विशेषकर युवाओं से मेरा आग्रह है कि वह यहां आएं और अपनी विरासत को समझें।”
वीके सक्सेना ने दिल्लीवासियों से अपील की कि वे इस अमूल्य धरोहर को सहेजने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस ऐतिहासिक स्थल को स्वच्छ और संरक्षित रखें, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी हमारे गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें। विशेष रूप से युवाओं से उन्होंने आग्रह किया कि वे यहां आएं और अपनी विरासत को समझें, ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।
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