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मेडिकल परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित बनाने के लिए समीक्षा की मांग

Demand for review to make medical examination system safe

डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त (डीसी) सचिन गुप्ता के माध्यम से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ज्ञापन सौंपकर स्वास्थ्य विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली की तकनीकी समीक्षा करने की मांग की ताकि इसे पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और धोखाधड़ी मुक्त बनाया जा सके।

प्रतिनिधिमंडल ने उनसे जनवरी में रोहतक स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएचएसआर) में सामने आए एमबीबीएस परीक्षा घोटाले में शामिल विश्वविद्यालय के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।

डीएमए के राष्ट्रीय आरटीआई सेल के प्रमुख दीपक राठी, मेडिकल छात्र सचिव तरुण और सनी ने कहा कि इस घोटाले ने मेडिकल शिक्षा की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और हजारों ईमानदार और मेहनती छात्रों का भविष्य खतरे में डाल दिया है।

राठी ने बताया, “यह घोटाला, जिसका सबसे पहले जनवरी में ‘द ट्रिब्यून’ ने पर्दाफाश किया था, विश्वविद्यालय से वार्षिक और पूरक परीक्षाओं के दौरान उत्तर पुस्तिकाओं की तस्करी से जुड़ा है। इसके बाद छात्रों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जाँच की जाती थी और धोखाधड़ी से उत्तीर्ण अंक प्राप्त करने के लिए उन्हें गोपनीयता शाखा में दोबारा जमा किया जाता था।”

डीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास ने कहा कि एमबीबीएस परीक्षा घोटाले के मद्देनजर अब यह आवश्यक हो गया है कि मेडिकल परीक्षा प्रक्रिया का तकनीकी ऑडिट किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और किसी भी कदाचार से सुरक्षित है, इसलिए उन्होंने इस संबंध में सीएम को एक ज्ञापन सौंपा।

उन्होंने कहा, “यूएचएसआर अधिकारियों को छात्रों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अब तक की गई अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई का विवरण भी सार्वजनिक करना चाहिए ताकि सभी को इसके बारे में पता चल सके।”

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