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पीसीबी कार्ययोजना के बावजूद बद्दी और परवाणू में पानी की गुणवत्ता खराब

Despite PCB action plan, water quality remains poor in Baddi and Parwanoo.

सोलन, 13 जुलाई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा विस्तृत कार्ययोजना तैयार किए जाने के बावजूद, बद्दी और परवाणू के जुड़वां औद्योगिक शहरों में नदियों और नालों की जल गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है।

तथ्य यह है कि बद्दी में सिरसा नदी और परवाणू में सुखना नाले को अब प्राथमिकता-III मानदंड के बजाय प्राथमिकता-I मानदंड के अंतर्गत रखा गया है, जो दर्शाता है कि पानी की गुणवत्ता किस प्रकार बद से बदतर होती चली गई है।

सिरसा नदी प्राथमिकता-I मानदंड के अंतर्गत बद्दी में सिरसा नदी खंड को प्राथमिकता-III मानदंड के तहत दर्जा दिया गया था क्योंकि इसका बीओडी 2019 में 3 मिलीग्राम प्रति लीटर की सुरक्षित सीमा के मुकाबले 8 मिलीग्राम और 16 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच था। अब इसे प्राथमिकता-I के अंतर्गत रखा गया है, जहां (बी ओ डी ) का स्तर 40 मिलीग्राम प्रति लीटर तक था परवाणू में सुखना नाले की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसका (बी ओ डी) मान 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है और इसे प्राथमिकता-I मानदंड में रखा गया है

एसपीसीबी राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत विभिन्न नदियों के जल की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर, जो कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए एरोबिक सूक्ष्मजीवों द्वारा आवश्यक या मांग की गई ऑक्सीजन की मात्रा है, प्राथमिकता स्तर निर्धारित करता है।

औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने जहरीले अनुपचारित अपशिष्टों को खुलेआम जल निकायों में डालने के मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं, जिससे बद्दी में सिरसा नदी और उसकी सहायक नदियों, जहाँ ये नाले मिलते हैं, की गुणवत्ता खराब हो गई है। हर समय नालों में जहरीले अपशिष्टों को बहते हुए देखा जा सकता है, जो दर्शाता है कि कैसे उद्योग आसानी से उपचार मानदंडों की अनदेखी करते हैं।

एसटीपी के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है: एसपीसीबी पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास जारी हैं। परवाणू में एसटीपी के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है। बद्दी-बरोटीवाला बेल्ट में 26 इकाइयों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए हैं, क्योंकि वे अपने अपशिष्टों को निपटान के लिए ट्रीटमेंट प्लांट तक नहीं भेज पा रही हैं। -अनिल जोशी, सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

सिरसा नदी खंड को प्राथमिकता-III मानदंड के तहत दर्जा दिया गया था क्योंकि 2019 में इसका (बी ओ डी)8 से 16 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच था जबकि सुरक्षित सीमा 3 मिलीग्राम प्रति लीटर है। अब इसे प्राथमिकता-I के तहत दर्जा दिया गया है जहाँ (बी ओ डी)का स्तर 40 मिलीग्राम प्रति लीटर तक था, जो इसकी खराब गुणवत्ता को दर्शाता है।

इसकी सहायक नदी बलद की गुणवत्ता में भी समान गिरावट आई है और इसे भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्राथमिकता-I के अंतर्गत रखा गया है।

इससे भी बुरी बात यह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा लगातार निगरानी के बावजूद अधिकारी कार्ययोजना को अक्षरशः लागू करने के प्रति संवेदनशील नहीं हो पाए हैं। यह देखना दुखद है कि पिछले पांच सालों में पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

परवाणू में सुखना नाले की गुणवत्ता भी बेहतर नहीं है। हर बार इसके (बी ओ डी) का मान 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज़्यादा पाया गया है। इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने प्राथमिकता-I मानदंड के तहत रखा है। इसे प्रदूषित माना जाता है और सुधारात्मक कार्रवाई के लिए पहचाना जाता है।

दो साल पहले स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का अभी तक बेहतर इस्तेमाल नहीं हो पाया है, जबकि दूसरे प्लांट के चालू होने में फंड की कमी के कारण देरी हो रही है। सुखना नाले में प्रदूषण का मुख्य कारण सीवेज ही पाया जाता है।

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