सिरसा जिले की पांच प्रमुख विधानसभा सीटों पर 54 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां कड़ी राजनीतिक जंग देखने को मिलेगी। सबसे ज्यादा ध्यान तीन सीटों पर है, जहां पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के वंशज सीधे मुकाबला कर रहे हैं। हालांकि, बाकी दो सीटों पर राजनीतिक समीकरण जटिल बने हुए हैं।
ऐलनाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला और कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल के बीच सीधा मुकाबला है। ऐलनाबाद सीट अभय चौटाला का गढ़ मानी जाती है, लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि बेनीवाल की उम्मीदवारी से उनकी जीत का सिलसिला टूट जाएगा। अभय चौटाला ने इससे पहले 2021 में यह सीट 6,739 वोटों के अंतर से जीती थी, लेकिन इस बार उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है।
निर्दलीय उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला गुरुवार को रानिया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए। इस बीच, डबवाली में आदित्य चौटाला, दिग्विजय चौटाला और अमित सिहाग एक और बहुप्रतीक्षित मुकाबले में भिड़ेंगे। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दिग्विजय का मुकाबला इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार आदित्य और कांग्रेस के अमित सिहाग से होगा। यहां चुनाव में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है, क्योंकि इस क्षेत्र में तीनों की अच्छी पकड़ है।
रानिया और कालांवाली फोकस में रानिया विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय रणजीत सिंह और इनेलो के अर्जुन चौटाला के बीच मुकाबला है। 2019 के चुनाव में रणजीत सिंह ने विपक्ष को 19,431 वोटों से हराया था और इस साल उनका मुकाबला अर्जुन चौटाला से है। इस बार वे पारिवारिक विरासत को फिर से हासिल करने की कोशिश में हैं। यहां कांग्रेस ने सर्व मित्तर कंबोज को मैदान में उतारा है।
कालांवाली में मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार शीशपाल केहरवाला और भाजपा के राजेंद्र देसुजोधा के बीच है। दोनों पार्टियों के पास मजबूत मतदाता आधार है, और परिणाम किसी भी तरफ जा सकते हैं। यह सीट पहले कांग्रेस के पास थी।
अनिश्चित समीकरण सिरसा सीट पर एचएलपी उम्मीदवार गोपाल कांडा का मुकाबला कांग्रेस के गोकुल सेतिया से है। एक तरफ गोपाल कांडा अपनी सीट बचाने के लिए इनेलो और बीएसपी से समर्थन मांग रहे हैं तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया के जरिए लोकप्रियता हासिल करने वाले गोकुल सेतिया उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि गोकुल पिछली बार महज 602 वोटों से हारे थे।
54 उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा और बदलते राजनीतिक परिदृश्य के कारण सिरसा में चुनाव काफी संघर्षपूर्ण होता जा रहा है, विशेषकर तीन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में देवी लाल के वंशजों की भागीदारी के कारण।
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