धर्मशाला में निर्माणाधीन मनुनी-2 हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट, जो हाल ही में आई बाढ़ की आपदा के केंद्र में है, इस सप्ताह की शुरुआत में हुई त्रासदी से पहले ही आधिकारिक जांच के घेरे में आ चुका था। इस साल मई में की गई मजिस्ट्रेट जांच में परियोजना से जुड़े कई पर्यावरणीय और नियामक उल्लंघनों का पता चला था।
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इस साल 30 मई को पेश की गई रिपोर्ट में धर्मशाला के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) मोहित रतन ने परियोजना के प्रबंधन द्वारा की गई कई अनधिकृत गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की। रिपोर्ट में स्थापित पर्यावरण मानदंडों की घोर अवहेलना की ओर इशारा किया गया और स्थानीय बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर परियोजना के संचालन के गंभीर परिणामों को उजागर किया गया।
रिपोर्ट में व्यापक खनन, पत्थर तोड़ने की गतिविधियों, मनुनी नदी में प्रदूषण आदि पर भी गंभीर चिंता जताई गई है, जिनके कारण आपदा का स्तर और प्रभाव बढ़ा है।
बिजली परियोजना के पास स्थित सौकनी दा कोट गांव की पंचायत द्वारा दर्ज की गई औपचारिक शिकायत के बाद जांच शुरू की गई। शिकायत में अवैध खनन और जल अवसंरचना के क्षरण के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को उजागर किया गया था। संज्ञान लेते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए।
एसडीएम की रिपोर्ट ने पुष्टि की कि परियोजना बिना किसी वैध अनुमति के दो स्टोन क्रशर चला रही थी – एक रेत निकालने के लिए और दूसरा 40 मिमी बजरी बनाने के लिए। हालांकि प्रबंधन ने दावा किया कि क्रशर “ट्रायल रन” पर थे, लेकिन जमीनी निरीक्षण से पता चला कि नियमित, निरंतर संचालन हो रहा था। पाया गया कि रेत सीधे मनुनी नदी (खड्ड) से निकाली जा रही थी, जिसके किनारों पर रेत और बजरी के बड़े अवैध डंप बनाए गए थे, जिससे गंभीर पारिस्थितिक और कानूनी चिंताएँ पैदा हुईं।
खनन विभाग ने अवैध संचालन के लिए परियोजना के खिलाफ पहले ही दो चालान जारी किए थे और अनधिकृत स्टोन क्रशर चलाने के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
इससे भी बुरी बात यह है कि परियोजना की गतिविधियों ने स्थानीय जल संरचना को भारी नुकसान पहुंचाया है। सौकानी दा कोट गांव से होकर पीने के पानी की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइनें गाद और रेत से भरी हुई पाई गईं।
निकटवर्ती गांवों – खनियारा, रक्कड़, दाड़ी और सिद्धबारी – के निवासियों को दूषित जल पीने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे 3,800 से अधिक लोग प्रभावित हुए और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरे उत्पन्न हो गए।
एसडीएम की रिपोर्ट के अनुसार, जल शक्ति विभाग को वाटर फिल्टर में गाद जम जाने के कारण 15 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। 300 मीटर तक फैली 65 एमएम ग्रेविटी वाटर सप्लाई लाइन भी नष्ट हो गई, जिससे 3 लाख रुपए का अतिरिक्त नुकसान हुआ।
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