हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कल शिमला के हेरिटेज टाउन हॉल भवन को उच्च स्तरीय कैफे में परिवर्तित करके उसका व्यवसायीकरण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका वापस ले ली। मामले को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। मामले पर कुछ देर बहस के बाद याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। अनुमति देते हुए अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।
जनहित याचिका अभिमन्यु राठौर द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नगर निगम, शिमला ने प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958, टीसीपी अधिनियम, 1978, एमसी अधिनियम, 1994 और शिमला अंतरिम विकास योजना के प्रावधानों का घोर उल्लंघन करते हुए इस विरासत संपत्ति को उच्च श्रेणी के कैफे में परिवर्तित करने की अनुमति दी है।
यहां यह बताना उचित होगा कि 10 जनवरी, 2024 को उच्च न्यायालय ने निजी संचालक को माल रोड पर स्थित शिमला नगर निगम के प्रतिष्ठित भवन टाउन हॉल में फूड कोर्ट चलाने पर रोक लगा दी थी।
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