उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सहकारी समितियां आपसी विश्वास पर काम करती हैं और राज्य में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए इस विश्वास को तोड़ा नहीं जाना चाहिए। वे आज यहां नाबार्ड द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 सहकारिता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “लोग सहकारी बैंकों में निवेश करके विश्वास व्यक्त करते हैं और यह महत्वपूर्ण है कि यह विश्वास न टूटे।” उन्होंने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश ने सहकारिता के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है और देश में अग्रणी है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में 20 लाख लोग कार्यरत हैं और इसमें 50,000 करोड़ रुपये का निवेश है। उन्होंने लोगों से सहकारी बैंकों से लिए गए ऋणों का समय पर भुगतान करने का आग्रह किया ताकि सहकारी आंदोलन को मजबूती मिल सके। अग्निहोत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कांगड़ा चाय सोसाइटी, लाहौल आलू सोसाइटी और कुल्लू स्नो वीवर्स सोसाइटी को पुनर्जीवित करना समय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड राज्य सरकार को इलेक्ट्रिक वाहन नेटवर्क के विस्तार में सहयोग दे रहा है और उसने लगभग 110 करोड़ रुपये की पूंजी जारी करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “सरकार और सहकारी समितियां मिलकर काम करेंगी और हमें सहकारी समितियों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, नई पीढ़ी को सहकारी समितियों से जोड़ने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श करना महत्वपूर्ण है।”
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत, जिन सोसाइटियों के पास जमीन नहीं है, उनमें परियोजनाएं स्थापित नहीं की जा सकतीं। उन्होंने कहा, “विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया था जिसमें उन सोसाइटियों को धारा 118 से छूट देने का प्रावधान था जिनके सभी निदेशक हिमाचली हैं, ताकि उन्हें अनुमति के लिए भागदौड़ न करनी पड़े। हालांकि, विधेयक को चयन समिति के पास भेज दिया गया है और बजट सत्र तक इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।”
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक अनुपम किशोर ने भी अपने विचार साझा किए। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. विवेक पठानिया ने स्वागत भाषण दिया और नाबार्ड द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की।

