पंजाब की कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने आज एक कड़े बयान जारी कर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग द्वारा दिवंगत कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह के बारे में की गई हालिया टिप्पणी की निंदा की।
सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “श्री बूटा सिंह न केवल भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति थे, बल्कि अनुसूचित जाति समुदाय के लिए गौरव और सशक्तिकरण के प्रतीक भी थे। उनके बारे में इस तरह की आपत्तिजनक बातें कहना उनकी विरासत का अपमान है और उन मूल्यों के साथ विश्वासघात है जिनका उन्होंने जीवन भर पालन किया।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं श्री राजा वारिंग द्वारा की गई अपमानजनक और असंवेदनशील टिप्पणियों की कड़ी निंदा करती हूँ। ऐसी भाषा, खासकर जब किसी प्रतिष्ठित दलित नेता के लिए कही गई हो, सम्मान और सहानुभूति की कमी को दर्शाती है। यह किसी भी नागरिक संवाद में अस्वीकार्य है, राजनीतिक क्षेत्र की तो बात ही छोड़िए।”
डॉ. कौर ने सभी राजनेताओं से जनसेवा की गरिमा बनाए रखने और अपने भाषण में सम्मान और संवेदनशीलता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने आगे कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि हमारे शब्दों का वज़न होता है। श्री बूटा सिंह के योगदान को गैर-ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ी से कम नहीं किया जा सकता।”
मंत्री ने पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए की गई कार्रवाई का भी स्वागत किया, जिसने श्री वारिंग को नोटिस जारी किया है और तरनतारन के निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। डॉ. बलजीत कौर ने कहा, “ऐसी घटनाओं के बाद जवाबदेही तय होनी चाहिए। मैं आयोग से आग्रह करती हूँ कि वह इस मामले को गंभीरता से ले ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके—न केवल श्री बूटा सिंह की स्मृति के लिए, बल्कि सम्मान और समानता को महत्व देने वाले प्रत्येक नागरिक के सम्मान के लिए भी।”
अपने वक्तव्य के समापन पर डॉ. बलजीत कौर ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब की राजनीतिक संस्कृति में समानता, न्याय और पारस्परिक सम्मान के मूल्य समाहित होने चाहिए।


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