कृषि और सतत प्रौद्योगिकियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों पर अपने कार्यों के लिए जानी जाने वाली आईआईटी-दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काव्या दशोरा ने यहां आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) में ‘भारत के डेयरी क्षेत्र का डिजिटल और एआई-संचालित परिवर्तन: प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और 2047 तक का मार्ग’ शीर्षक पर व्याख्यान दिया।
डॉ. दशोरा ने जलवायु परिवर्तन, पशु स्वास्थ्य और दूध की गुणवत्ता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के डेयरी क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पशु पहचान प्रणाली, फार्म और पशु स्तर पर सेंसर तकनीक, दूध गुणवत्ता मूल्यांकन प्लेटफॉर्म और कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स की निगरानी सहित डेटा-केंद्रित उपकरणों की भूमिका का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि ये नवाचार परिचालन दक्षता बढ़ाते हैं और सूचित निर्णय लेने में सहायक होते हैं।
डॉ. दशोरा ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की पूरी क्षमता का लाभ उठाने में सक्षम कुशल कार्यबल तैयार करने के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने डेयरी अनुसंधान और उद्योग प्रक्रियाओं दोनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सहजता से एकीकृत करने के लिए अंतर्विषयक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आईसीएआर-एनडीआरआई के कुलपति डॉ. धीर सिंह ने की, जिन्होंने कृषि और पशु विज्ञान पर एआई के प्रभाव पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने बताया कि एआई-आधारित नवाचार किस प्रकार पशुधन प्रबंधन में क्रांति ला रहे हैं, जिससे बीमारियों का शीघ्र पता लगाना, संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और डेटा विश्लेषण को उन्नत बनाना संभव हो रहा है। उन्होंने भारत के 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए, यानी पूर्वानुमानित, जलवायु-प्रतिरोधी और टिकाऊ डेयरी उत्पादन प्रणालियों को विकसित करने के लिए, डेयरी अनुसंधान में एआई प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के महत्व पर भी बल दिया।


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