नई दिल्ली, 30 जुलाई । सरकारी नीतियों के समर्थन के कारण इलेक्ट्रिक बस की बिक्री चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर 75 से 80 प्रतिशत तक बढ़कर 6,000 से 6,500 तक पहुंच सकती है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
रिसर्च फर्म क्रिसिल रेटिंग्स की ओर से कहा गया कि राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) की ओर से ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल के तहत ट्रेडर्स के जरिए ई-बस के बड़ी संख्या में ऑर्डर दिए जाने के कारण चालू वित्त वर्ष में इनकी बिक्री 75 से 80 प्रतिशत बढ़कर 6,000 से लेकर 6,500 यूनिट्स तक पहुंच सकती है। इन स्कीमों में फेम (1 और 2), पीएम ई-बस सेवा स्कीम और नेशनल इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम (एनईबीपी) शामिल है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सरकार की ओर से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कम उत्सर्जन पर जोर दिया जा रहा है। इसके कारण ई-बस को तेजी से अपनाया जा रहा है।
क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर गौतम शाही ने कहा कि ई-बस को तेजी से अपनाया जा रहा है, क्योंकि जीसीसी मॉडल के तहत एसटीयू और बस ऑपरेटर्स के हितों का ध्यान रखा गया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि ई-बस ऑर्डर में बढ़त होने से उत्पादन सस्ता हो जाएगा। साथ ही बैटरी की कीमत में भी कमी आएगी। इससे ई-बस की कीमत कम होगी। जिससे सीधा फायदा एसटीयू और बस ऑपरेटर को होगा। लागत कम होने के चलते ई-बस के चलन में भी इजाफा होगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर पल्लवी सिंह ने कहा कि मौजूदा मजबूत ई-बस ऑर्डरबुक, साथ ही पीएम ई-बस सेवा योजना-4 के तहत दिए जाने वाले 7,800 बसों के बचे ऑर्डर से इस सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी उम्मीद है कि सरकार की ओर से इस स्कीम को बढ़ाया जाएगा। इससे चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में ई-बस की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।
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