नई दिल्ली, 27 सितंबर । दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार को हो रहा है। हालांकि, इस बीच कुछ छात्रों ने मतदान धीमा और देर से कराने के आरोप लगाए हैं। छात्रों का कहना था कि जहां मतदान सुबह जल्दी शुरू होना चाहिए था, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ सेंटर में अधिकारियों ने सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक प्रक्रिया शुरू नहीं की। छात्रों ने आरोप लगाया है कि यह स्पष्ट रूप से दबाव को दर्शाता है।
अधिकारियों का कहना है कि चुनाव में पारदर्शिता बरती जा रही है और जहां कहीं भी छात्रों को कोई समस्या है, वहां उनसे बात की जा रही है। एनएसयूआई का कहना है कि जब उनके संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार, लोकेश चौधरी, लॉ सेंटर पहुंचे, तो उन्होंने अधिकारियों से तुरंत मतदान प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया। लेकिन, उन्हें विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा।
छात्र संगठन का मानना है कि इस तरह की घटनाएं अनुचित प्रभाव को दर्शाती हैं, जो छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों से समझौता कर रही हैं।
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने कहा कि विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में मतदान शुरू होने के बावजूद कुछ स्थानों पर मतदान की प्रक्रिया को संदिग्ध रूप से विलंबित किया गया। यह अनियमितता चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
एनएसयूआई का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन स्पष्ट रूप से कुप्रबंधन और पक्षपाती व्यवहार कर रहा है। इसकी वे निंदा करते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रशासन दबाव में काम कर रहा है।
लॉ सेंटर की घटना के उपरांत एनएसयूआई के रवि पांडे ने अपने आधिकारिक बयान में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन का चुनाव प्रक्रिया का संचालन पूरी तरह से राजनीतिक दबाव में है। यह केवल एनएसयूआई पर हमला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। इसके साथ ही एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने कहा कि वे निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया और इस कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करते हैं। एनएसयूआई ने अपने संगठन से जुड़े छात्रों से कहा है कि वे इन सभी अलोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एकजुट रहें और सुनिश्चित करें कि चुनाव प्रक्रिया में न्याय हो।