December 8, 2025
National

पहले लड़ाई आजादी के लिए थी, अब सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए: सुधांशु त्रिवेदी

Earlier the fight was for independence, now it is for social and cultural freedom: Sudhanshu Trivedi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर एक खास चर्चा शुरू करेंगे। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सभी राजनीतिक दलों से वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के इस आयोजन में अपने-अपने विचार व्यक्त करने एवं राष्ट्र के विकास और राष्ट्र की एकता की भावना को और मजबूत करने की अपील की।

भाजपा सांसद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्राण ऊर्जा कहे जाने वाले उद्घोष वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को संसद में इस विषय के ऊपर चर्चा होने जा रही है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्बोधन भी सुनने को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री मोदी का उद्बोधन सुनने के लिए बहुत ही उत्सुक और रोमांचित है।

भाजपा सांसद ने कहा कि 19वीं सदी के अंतिम चतुर्थांश में लिखा गया वंदे मातरम आज 21वीं सदी के प्रथम चतुर्थांश में निश्चित रूप से देश के युवाओं को वही ऊर्जा और प्रेरणा देगा, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय दी थी।

उन्होंने कहा कि तब लड़ाई स्वतंत्रता और राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए थी, और आज लड़ाई सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए है।

भाजपा सांसद ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा कि मैं अपेक्षा करता हूं कि पूर्व में इतिहास में जो गलतियां हुई थीं, उनको छोड़कर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कट्टरपंथी विचारों और वोटों की परवाह न करते हुए सभी दल सामूहिक रूप से वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के इस आयोजन में अपने-अपने विचार व्यक्त करें और राष्ट्र के विकास और राष्ट्र की एकता की भावना को और मजबूत करें।

बता दें कि पीएम मोदी बंकिम चंद्र चटर्जी के लिखे और 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में पहली बार छपे इस राष्ट्रीय गीत के आजादी की लड़ाई में योगदान, इसके ऐतिहासिक महत्व और आज की जरूरत पर भी बात कर सकते हैं। वंदे मातरम के बारे में पीएम मोदी के विचारों का विपक्षी सदस्य बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। साथ ही, पिछले महीने, इस गीत की सालगिरह मनाने के एक कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने कांग्रेस पर फैजाबाद में पार्टी के 1937 के सेशन में असली गीत से ‘जरूरी लाइनें हटाने’ का आरोप लगाया था।

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