प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), शिमला ने मानव भारती विश्वविद्यालय, सोलन से जुड़े फर्जी डिग्री घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत आरोपी अशोनी कंवर की हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में स्थित 5.80 करोड़ रुपये मूल्य की सात अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।
ईडी के सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार, मामले में कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग 200 करोड़ रुपये है। ईडी ने फर्जी डिग्रियों की बिक्री की जांच के बाद मानव भारती विश्वविद्यालय और उसके प्रमोटरों के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जनवरी 2023 में आरोप पत्र दायर किया था।
आरोपपत्र में विश्वविद्यालय और इसके प्रमोटर राज कुमार राणा सहित कुल 16 संस्थाओं के नाम शामिल हैं।
ईडी ने आरोप लगाया था कि संदिग्ध राज कुमार राणा ने अन्य सह-संदिग्धों की मदद से पैसे के बदले मानव भारती विश्वविद्यालय, सोलन की फर्जी डिग्रियाँ बेचीं। इस अवैध गतिविधि से प्राप्त धन का उपयोग राणा ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों और विभिन्न संस्थाओं के नाम पर राज्यों में चल और अचल संपत्तियाँ हासिल करने के लिए किया।
ईडी का मामला राज्य में फर्जी डिग्री घोटाले में शामिल संदिग्धों के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर पर आधारित है। इससे पहले एजेंसी ने मामले के सिलसिले में पीएमएलए के तहत 194 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम ने पाया कि विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक समेत 13 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेचीं, जिनकी कीमत कोर्स के महत्व और अवधि के आधार पर 1 लाख से 3 लाख रुपये के बीच थी। संदिग्धों ने उन कोर्स से संबंधित डिग्रियां भी बेचीं जो विश्वविद्यालय में नहीं थे।
2015 में एक तथ्य-खोज समिति ने बताया था कि मानव भारती विश्वविद्यालय के परिसर में बिना सुरक्षा सुविधाओं के 26,770 मुद्रित डिग्रियाँ बेकार पड़ी हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अगस्त 2019 में विश्वविद्यालय द्वारा बेची जा रही फर्जी डिग्रियों के मुद्दे को उठाया था। यूजीसी को एक शिकायत मिली थी जिसके अनुसार विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से पाँच लाख फर्जी डिग्रियाँ बेची हैं।