प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टोरेस पोंजी स्कीम मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है, जिसमें निवेशकों को उच्च रिटर्न का झांसा देकर लुभाया गया था। इसके बाद इस योजना में धोखाधड़ी का खुलासा हुआ।
ईडी का मामला मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है। एफआईआर में शिकायत की गई है कि 31 वर्षीय एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि करीब 1.25 लाख लोगों ने इस स्कीम में निवेश किया था। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, 66 निवेशकों ने 13.85 करोड़ रुपये का दावा किया था। जांच के बाद, इस मामले को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया।
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, इस स्कीम में कुल 39 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था और यह राशि ज्यादा भी हो सकती है।
वहीं, इससे पहले 10 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में लाखों छोटे निवेशकों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यवसायी सुरेश कुटे को मुंबई की एक विशेष अदालत में पेश किया था।
ईडी ने 7 जनवरी को ज्ञानराधा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड (डीएमसीएसएल) के फंड को गलत तरीके से इस्तेमाल करने के मामले में कुटे को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें विशेष अदालत के सामने पेश किया गया, जिसने उन्हें शुक्रवार तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
ईडी ने कुटे और उनके साथियों द्वारा निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में जांच शुरू की थी। यह जांच आईपीसी और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण (वित्तीय संस्थानों में) अधिनियम, 1999 की विभिन्न धाराओं के तहत की जा रही है। यह मामला महाराष्ट्र के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में मई से जुलाई 2024 के बीच दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर चल रहा है। ईडी ने अपनी शिकायत में कहा था कि डीएमसीएसएल का प्रबंधन और नियंत्रण सुरेश कुटे, यशवंत वी कुलकर्णी और उनके अन्य साथियों के पास था।
सहकारी और ऋण सोसाइटी ने विभिन्न जमा योजनाएं शुरू की थीं और 12 से 14 प्रतिशत तक ब्याज देने का वादा किया था। जांच के दौरान यह पता चला कि सुरेश कुटे और उनके साथियों ने चार लाख से ज्यादा भोले-भाले निवेशकों को उच्च रिटर्न का झांसा देकर डीएमसीएसएल में पैसा जमा करने के लिए बहकाया। ईडी ने बताया कि जब इन निवेशकों की जमा राशि परिपक्व हुई, तो उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला या केवल आंशिक भुगतान किया गया, जिससे उन्हें धोखा हुआ।
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