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शिक्षा और कौशल सामाजिक प्रगति की कुंजी हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल

Education and skills are the key to social progress: Himachal Pradesh Governor

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि शिक्षा कौशल को बढ़ावा देती है और कौशल शिक्षा के मूल्य को बढ़ाते हैं और दोनों के संयोजन से ही समाज प्रगति कर सकता है। शिमला में तीन दिवसीय “एडुस्किल्स एचआर समिट 2025” के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, “जब समाज आगे बढ़ता है, तो राष्ट्र आगे बढ़ता है।” इस समिट में कुलपतियों, प्राचार्यों और निदेशकों सहित शैक्षणिक क्षेत्र के दिग्गजों और 100 से अधिक मानव संसाधन पेशेवरों और कॉर्पोरेट नेताओं ने भाग लिया।

राज्यपाल ने कहा कि विचारों में अपार शक्ति होती है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) इस विकसित होते परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहाँ पुरानी नींव और नए निर्माण का मिलन होता है। एआई इस नए निर्माण का एक हिस्सा है और इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।”

इस शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए एडुस्किल्स फाउंडेशन को बधाई देते हुए, राज्यपाल ने कहा कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि तेज़ी से बदलती तकनीक, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस युग में, राष्ट्र की असली संपत्ति उसके युवाओं के ज्ञान, कौशल और रचनात्मकता में निहित है।

उन्होंने कहा, “भारत की 65 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी युवा है। इस जनसांख्यिकीय लाभ को वास्तविक शक्ति में बदलने के लिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे छात्र न केवल शिक्षित हों, बल्कि कुशल और रोज़गार-योग्य भी हों। कौशल विकास अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। यह वह आधार है जिस पर हमारे युवाओं का भविष्य, हमारे उद्योगों का विकास और हमारे राष्ट्र की समृद्धि टिकी है।” राज्यपाल ने ज़ोर देकर कहा कि युवाओं को ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास से सशक्त बनाना ही राष्ट्र को सशक्त बनाने का सच्चा तरीका है।

उन्होंने डिजिटल इंटर्नशिप, उत्कृष्टता केंद्र और आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों जैसी पहलों की भी सराहना की, जिनके माध्यम से एडुस्किल्स देश भर में लाखों छात्रों को सशक्त बना रहा है। इस अवसर पर, विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर के.के. अग्रवाल और एआईसीटीई के सलाहकार एवं राज्यसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव डॉ. राघव प्रसाद दाश ने भी अपने विचार साझा किए।

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