मादक पदार्थ से संबंधित अपराधों के खिलाफ एक बड़े अभियान के तहत, करनाल जिले में एनडीपीएस अधिनियम के तहत मजबूत सजा दर दर्ज की गई, जहां अप्रैल माह के दौरान नौ में से आठ मामलों में आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाई गई।
यह जानकारी लघु सचिवालय में जिला स्तरीय नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) समिति की समीक्षा बैठक के दौरान दी गई। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त उत्तम सिंह ने की।
उप निदेशक अभियोजन सह जिला अटॉर्नी पंकज सैनी ने बताया कि अप्रैल में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज नौ मामलों में फैसला सुनाया गया, जिनमें से आठ मामलों में सजा मिली, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया। इसके अलावा मई में एक्ट के तहत चार नए मामले दर्ज किए गए।
उपायुक्त ने अधिकारियों को हरियाणा को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए समन्वय से काम करने के निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक (एसपी) गंगा राम पुनिया ने भी अधिकारियों को लक्ष्य हासिल करने के लिए संयुक्त प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
बैठक के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में जिले में आठ नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं, जिनमें से एक सरकारी, सात निजी और एक अस्थायी निजी है। मई में इनमें से सात केंद्रों का निरीक्षण किया गया। अधिकारियों ने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मामले में 10 उच्च जोखिम वाले गांवों की पहचान की गई है।
मई में नशा मुक्ति केंद्रों पर 361 मरीज ओपीडी में आए और 33 मरीज आईपीडी में भर्ती हुए। कुल 39 लोग सफलतापूर्वक नशा छोड़ चुके हैं, जबकि 6,527 मरीजों का इलाज इन केंद्रों पर चल रहा है।
जागरूकता अभियान के तहत 12 शिविर आयोजित किए गए, जिसके माध्यम से नशे की लत से जूझ रहे 50 लोगों की पहचान की गई। वर्तमान में, 43 लोग नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए उपचार करवा रहे हैं।
जिला समाज कल्याण विभाग ने उच्च शिक्षा और तकनीकी संस्थानों में जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना साझा की। उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे सत्रों के आयोजन से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विषय विशेषज्ञ या वक्ता कौन हैं और किस आयु वर्ग को लक्षित किया जाएगा।