हरियाणा के अंबाला में एक सीनियर सिटीजन को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 1.50 करोड़ रुपए ठगे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कोर्ट की सहायता करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), हरियाणा सरकार और साइबर क्राइम विभाग, अंबाला को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार और पुलिस अधीक्षक, साइबर क्राइम अंबाला को अब तक की गई जांच की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द कठोर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों के फर्जी हस्ताक्षरों वाले न्यायिक आदेश से न्यायपालिका पर जनता के विश्वास पर गहरी चोट पहुंचती है।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला कोई अकेला मामला नहीं है। मीडिया में कई बार ऐसी खबरें छपी हैं और देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं। इसलिए इस पर जल्द से जल्द कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
अंबाला में हरियाणा रोडवेज की रिटायर्ड ऑडिटर शशिबाला सचदेव और उनके पति को ठगों ने 3 से 16 सितंबर के बीच निशाना बनाया था। साइबर ठगों ने सीबीआई के फर्जी अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया और सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश दिखाकर उन्हें डराया।
साइबर ठगों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने का डर दिखाकर 13 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा था। इस दौरान ठगों ने बुजुर्ग दंपति से 1.50 करोड़ रुपए ठग लिए। मामले का खुलासा तब हुआ जब तनाव में आए बुजुर्ग दंपति की तबियत बिगड़ी और उन्होंने अपनी बेटी को पूरी कहानी बताई। इसके बाद साइबर थाने में केस दर्ज कराया गया था।
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