मुंबई, 6 मार्च । लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ महाराष्ट्र की 48 सीटों में से अपनी पसंदीदा या जीतने योग्य सीटों के लिए पार्टियाँ और संभावित उम्मीदवार अपनी-अपनी तरफ से पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं।
सभी प्रमुख दल – सत्तारूढ़ सहयोगी शिव सेना-भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और उनके अन्य सहयोगी, तथा विपक्षी महा विकास अघाड़ी की कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) -शिवसेना (यूबीटी), और उनके अन्य सहयोगी – अधिक से अधिक सीटें हासिल करने की होड़ में हैं। कुछ अन्य दल भी मैदान में हैं।
दोनों पक्षों ने संकेत दिया है कि सीट-बंटवारे का मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटा लिया गया है, लेकिन कुछ प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र और उम्मीदवार हैं, जिन पर व्यक्तिगत पार्टी स्तर और गठबंधन दोनों स्तरों पर निर्णय लिया जाना बाकी है।
विवादास्पद सीटों में से तीन मुंबई की हैं। साथ ही ठाणे, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, सतारा और नागपुर में एक-एक सीटें हैं। उदाहरण के लिए बारामती (पुणे) में ‘हाई-प्रोफाइल’ जंग हो सकती है।
कहा जा रहा है कि सत्ता पक्ष में भाजपा के सहयोगी दल शिव सेना-एनसीपी संख्या के लिहाज से बड़ी मांग कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा संकेतों के मुताबिक उनकी माँगें माने जाने की संभावना नहीं है।
विपक्षी गठबंधन भी इसी तरह की मुश्किलों का सामना कर रहा है, जिसमें कांग्रेस-शिवसेना-(यूबीटी) दोनों बड़ी संख्या में सीटों का दावा कर रहे हैं, हालांकि एनसीपी (एसपी) ने कोई वादा नहीं किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार रात से ही महाराष्ट्र में डेरा डाले हुए हैं। आज वह मुंबई में हैं जहाँ सीट-बंटवारे की समस्या का सौहार्द्रपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश करेंगे – विशेष रूप से कुछ प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित। वह जलगांव में एक युवा सम्मेलन में भाग लेंगे और मंगलवार शाम को छत्रपति संभाजीनगर में एक रैली करेंगे।
एमवीए के शीर्ष नेता जैसे शरद पवार, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, नाना पटोले और वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर अपने मतभेदों को दूर करने और उम्मीदवारों तथा निर्वाचन क्षेत्रों की संबंधित सूचियों को अंतिम रूप देने के लिए आज दोपहर बैठक कर रहे हैं, जिसमें कुछ आश्चर्यजनक फैसलों की भी संभावना है।
इसके साथ ही, भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों का नई दिल्ली स्थित उनका केंद्रीय नेतृत्व भी राज्य-स्तरीय सीट-बंटवारे के फॉर्मूले में गहरी दिलचस्पी ले रहा है, और इस उद्देश्य से अपनी बैठकें कर रहा है।
अधिकांश पार्टियों के सूत्रों ने विश्वास जताया कि सप्ताहांत तक सभी बड़े-छोटे मुद्दों का समाधान हो जाने की संभावना है और उनके उम्मीदवार लोकसभा-2024 की जंग में जीत के लिए तैयार होंगे।