बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के विरोध में विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। इसी क्रम में मंगलवार को बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने चुनाव आयोग पर जुबानी हमला किया और भाजपा को कठघरे में खड़ा किया।
पटना में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अब जनता का नहीं, बल्कि भाजपा का चुनाव आयोग बन गया है। उन्होंने इंडिया ब्लॉक की ओर से चुनौती दी कि आयोग जितने वोटर नामांकन की बात कर रहा है, उतनी रसीदें दिखा दे। अगर रसीदें दिखा दीं, तो हम मान लेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा ने जनता के मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव आयोग के जरिए वोट चुराने की कोशिश कर रही है ताकि अपने गलत कामों को छिपा सके। इंडिया ब्लॉक सड़कों पर जनता की आवाज बनकर इसका विरोध करेगा।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर से बिहार को ‘क्राइम कैपिटल’ कहे जाने पर कहा कि बिहार में गुंडाराज है। यह अपराध का केंद्र बन गया है। ऐसा तब से हुआ, जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार हुए हैं और बिहार की सरकार भाजपा चला रही है।
इससे पहले, सोमवार को बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने मतदाता पुनरीक्षण के संबंध में कहा था कि बिहार से पलायन कर देश के अन्य राज्यों में काम कर रहे करीब तीन करोड़ मजदूरों और कामगारों के नाम वोटर लिस्ट से गायब हो सकते हैं, जिससे वे आगामी विधानसभा चुनावों में मतदान से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग और सरकार को इस पर तुरंत गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए।
राजेश कुमार ने सवाल उठाया कि जब 6 जनवरी 2025 को वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन हो चुका है, तो सरकार 25 दिन में उन तीन करोड़ प्रवासी लोगों के नाम कैसे जोड़ेगी? उन्होंने कहा कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में बिहार के लोग रोजगार के लिए गए हुए हैं, लेकिन सरकार की व्यवस्था ऐसी है कि वे चाहकर भी अपने गांव जाकर मतदान नहीं कर सकते।