N1Live Entertainment ‘अपनी अनोखी खूबसूरती को अपनाएं, छुपाएं नहीं…’ ताहिरा कश्यप ने सुनाई ‘आर्टिफिशियल ब्यूटी स्टैंडर्ड’ पर कविता
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‘अपनी अनोखी खूबसूरती को अपनाएं, छुपाएं नहीं…’ ताहिरा कश्यप ने सुनाई ‘आर्टिफिशियल ब्यूटी स्टैंडर्ड’ पर कविता

‘Embrace your unique beauty, don't hide it…’ Tahira Kashyap recites a poem on 'artificial beauty standards'

लेखिका और फिल्म निर्माता ताहिरा कश्यप ने इंस्टाग्राम पर एक भावपूर्ण वीडियो साझा किया, जिसमें वह अपनी कविता के माध्यम से आत्म-स्वीकृति और अनोखी खूबसूरती का मैसेज देती नजर आईं। यह कविता समाज के सौंदर्य मानकों के खिलाफ एक प्रेरणादायक बयान की तरह है।

इंस्टाग्राम पर वीडियो को शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा, “जब लोग आपकी नाक, होंठ और चेहरे पर ध्यान देने लगते हैं, तो आपको एक संदूक में बंद कर देते हैं। मैं तुम्हें भीड़ में कैसे ढूंढ पाऊंगी…”

वीडियो में ताहिरा कहती नजर आईं, “अक्सर लोग समाज के सौंदर्य मानकों के दबाव में अपनी खूबसूरती को खो देते हैं।” ताहिरा ने उन लोगों का जिक्र किया, जो सर्जरी के लिए पैसे जुटाते हैं ताकि उनकी नाक या होंठ समाज के तय मानकों के अनुरूप दिखें। ताहिरा न केवल अभिनेताओं, बल्कि स्कूल, कॉलेज और आम नौकरी करने वालों की भी बात करती हैं, जो सोशल मीडिया पर एकसमान दिखने की होड़ में अपनी पहचान खो रहे हैं। वह कहती हैं, “यह अब बड़े पर्दे की बात नहीं, बल्कि हर पल हर किसी से मान्यता पाने की चाहत है।”

यह कविता न केवल आत्म-प्रेम को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज के आर्टिफिशियल ब्यूटी स्टैंडर्ड को चुनौती देती है। ताहिरा की कविता खुद की विशेषताओं को सेलिब्रेट करने की प्रेरणा देती है। वे कहती हैं, “तुम्हारे पतले होंठ तुम्हारी मुस्कान को उजागर करते हैं, तुम्हारी टेढ़ी नाक मुझे बास्केटबॉल कोर्ट की याद दिलाती है, जहां तुम खूब खेली। तुम्हारी झाइयां गालों पर बारिश की बूंदों सी हैं, जो तुम्हारे स्कूटर चलाने और कॉफी शॉप के प्रेम को दिखाती हैं।” घुंघराले बालों, घनी भौहें और यहां तक कि फीके मोजों को भी व्यक्तित्व का हिस्सा मानती हैं, जो हर इंसान को अनोखा बनाते हैं।

ताहिरा का कहना है कि अपनी खामियों को छुपाने से व्यक्ति अपनी चमक खो देता है। वे कहती हैं, “तुम्हारी छोटी-सी खामी सोने की खान से भी ज्यादा कीमती है। इसे संजोकर रखो।”

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