पालमपुर, 7 जुलाई थुरल के पास पालमपुर-हमीरपुर राजमार्ग पर मोल खड्ड पर एक प्रमुख पुल पिछले तीन वर्षों से निर्माणाधीन है, जिससे लोगों को काफी असुविधा हो रही है। पालमपुर-हमीरपुर राजमार्ग कांगड़ा जिले की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक है क्योंकि यह पालमपुर, बैजनाथ और जोगिंदर नगर को चंडीगढ़, शिमला, बिलासपुर और दिल्ली से जोड़ता है, जो किरतपुर-मनाली फोर-लेन खंड के खुलने के बाद सबसे छोटा मार्ग है।
पुल के निर्माण का काम 2021 में एक निजी फर्म को सौंपा गया था, जिसका निर्माण कार्य मार्च 2023 से पहले पूरा होना था। हालांकि, लोक निर्माण विभाग सहमत समय अवधि के भीतर फर्म द्वारा पुल का निर्माण पूरा करवाने में विफल रहा। पुल के निर्माण कार्य की धीमी गति को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है।
कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुल के निर्माण में लगी कंपनी ने राजमार्ग के आधे किलोमीटर हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिससे सड़क पर गड्ढा हो गया है। स्थानीय लोगों ने आगे आरोप लगाया कि पिछले दो सालों से इस हिस्से की मरम्मत नहीं की गई है। गहरे गड्ढे की वजह से सड़क के इस हिस्से से गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया है और यहां दुर्घटनाएं आम बात हो गई हैं।
मानसून की शुरुआत के कारण सड़क की हालत बद से बदतर हो गई है। यह पुल सुलह विधायक विपिन परमार के विधानसभा क्षेत्र में आता है। द ट्रिब्यून से बातचीत में परमार ने बताया कि उन्होंने 2021 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस पुल के लिए धनराशि स्वीकृत कराई थी और पुल का शिलान्यास भी हुआ था। हालांकि, 2022 में सरकार बदलने के बाद पुल के निर्माण की गति धीमी हो गई।
परमार ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के भवारना डिवीजन, जिसके अंतर्गत यह पुल आता है, में कार्यकारी अभियंता का पद पिछले पांच महीनों से रिक्त पड़ा है, जिससे उनके क्षेत्र में विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता (भवारना) राजेश चोपड़ा ने द ट्रिब्यून से संपर्क करने पर बताया कि पुल का निर्माण निर्धारित समय में पूरा करने के लिए ठेकेदार को पिछले एक वर्ष में कई नोटिस भेजे गए थे।
उन्होंने कहा कि इस पुल के लिए केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) के तहत धनराशि उपलब्ध कराई है। हिमाचल प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग सचिव से प्रशासनिक अनुमोदन के अनुसार पुल की कुल लागत 12.57 करोड़ रुपये है तथा स्वीकृत लागत 9.58 करोड़ रुपये है।
इसमें से पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार को 7.5 करोड़ रुपए पहले ही जारी कर दिए हैं। इसके बावजूद, एप्रोच का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने स्लैब पहले ही बिछा दिए हैं।
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