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हर साल तिल के बराबर बढ़ते हैं काशी के तिलभांडेश्वर महादेव, दर्शन से मिलता है अश्वमेध यज्ञ का पुण्य

Every year, Tilabhandeshwar Mahadev of Kashi grows equal to a sesame seed, one gets the virtue of Ashwamedha Yagya by darshan.

वाराणसी, 26 फरवरी । महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्ति में देश-दुनिया के साथ शिवनगरी काशी लीन है। ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके दर्शन मात्र करने से कई गुना फल मिलते हैं। बाबा श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है तिलभांडेश्वर का, जिसे लेकर मान्यता है कि यहां शिवलिंग हर साल तिल के बराबर बढ़ता है और दर्शन करने से कई पाप मिट जाते हैं।

काशी की रहने वाली श्रद्धालु रीता त्रिपाठी ने बताया, “हम लोग काफी समय से मंदिर आते रहे हैं। तिलभांडेश्वर हर साल तिल के बराबर बढ़ता है। महाशिवरात्रि पर बाबा के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। बाबा स्वयंभू हैं और इनके दर्शन करने से पाप मिट जाते हैं और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां हर सोमवार को कीर्तन भी होता है।”

जानकारी के अनुसार काशी में स्थित तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। तिलभांडेश्वर महादेव का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ के मंदिर से एक किलोमीटर दूर है, जो पांडे हवेली में स्थित है। हर साल तिल के बराबर बढ़ने वाले तिलभांडेश्वर शिवलिंग की वर्तमान में ऊंचाई लगभग 3 फीट है।

बता दें, तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं। सोमवार और प्रदोष व्रत पर भी शिव भक्त आते हैं। तिलभांडेश्वर मंदिर में भक्त कालसर्प दोष की शांति के लिए भी पूजा करते हैं। मंदिर में भोलेनाथ के अलावा कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

मान्यता है कि ये भगवान स्वयंभू हैं। यह क्षेत्र ऋषि विभांड की तप स्थली थी और यहीं पर वह ध्यान लगाकर पूजा करते थे। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया था कि यह शिवलिंग (तिलभांडेश्वर) हर साल तिल के बराबर बढ़ता रहेगा। इस शिवलिंग के दर्शन से अश्वमेध यज्ञ से मिलने वाले पुण्य के बराबर पुण्य फल मिलता है। तिल के बराबर बढ़ते रहने से और ऋषि विभांड के नाम पर इस मंदिर को तिलभांडेश्वर नाम मिला है।

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