नई दिल्ली, पिछले साल 17 नवंबर को लागू हुई आप सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 ने कई कारणों से विपक्ष और राष्ट्रीय राजधानी में उद्योग विशेषज्ञों की कड़ी आलोचनाओं का सामना किया है।< नई नीति के तहत 32 जोनों में विभाजित शहर भर में 849 दुकानों के लिए निजी बोलीदाताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे। नीति का विरोध करते हुए विपक्ष ने उपराज्यपाल के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच कराने की मांग की है।
आरोप:
दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव की 8 जुलाई की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की है, जिसमें ‘वर्ष 2021-2022 के लिए शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए जानबूझकर और सकल प्रक्रियात्मक चूक’ को चिह्न्ति किया गया है।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में जीएनसीटीडी एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर)-1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट-2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स-2010 के प्रथम ²ष्टया उल्लंघन की ओर भी इशारा किया गया है।
चूंकि आबकारी विभाग का नेतृत्व मनीष सिसोदिया करते हैं, उन्हें आबकारी नीति के इर्द-गिर्द बड़े निर्णयों को क्रियान्वित करने में वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कथित तौर पर बड़े वित्तीय निहितार्थ हैं।
उन्होंने निविदाएं दिए जाने के बाद भी कथित तौर पर शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता प्रदान की और इस प्रकार राजकोष को भारी नुकसान हुआ।
आबकारी विभाग ने कथित तौर पर एक बहाने के रूप में महामारी का हवाला देते हुए निविदा लाइसेंस शुल्क पर लाइसेंसधारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। सिसोदिया के तहत आबकारी विभाग ने अपने 8 नवंबर, 2021 के आदेश में विदेशी शराब की दरों की गणना के फॉर्मूले को संशोधित किया और बीयर पर 50 रुपये प्रति केस के आयात पास शुल्क को हटा दिया।
आप सरकार पर हाल ही में 14 जुलाई को कैबिनेट की मंजूरी लेकर ‘इन अवैध फैसलों’ को वैध बनाने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया है, जिसे निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन कहा जा रहा है।
आम आदमी पार्टी का बचाव:
एलजी द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश करने के तुरंत बाद एक प्रेस वार्ता में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मामले को ‘झूठा’ करार दिया और कहा कि भाजपा आप के विस्तार से डरती है।
सीएम केजरीवाल ने कहा, “पूरा मामला मनगढ़ंत है। मैं सिसोदिया को पिछले 22 सालों से जानता हूं। वह ईमानदार हैं। जब वह मंत्री बने तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत खराब थी। उन्होंने उन्हें उस स्तर तक लाने के लिए दिन-रात काम किया, जहां एक न्यायाधीश का बच्चा और एक रिक्शा चालक का बच्चा पढ़ने के लिए एक साथ बैठते हैं।”
शराब का संकट पैदा करने वाली नीति:
दिल्ली के निवासियों को अपनी पसंद की शराब की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि राजधानी शहर में कई दुकानों पर विभिन्न श्रेणियों (शराब की) में कमी देखी जा रही है। यहां तक कि कुछ प्रीमियम श्रेणी की व्हिस्की भी विभिन्न आउटलेट्स पर एक लीटर से कम मात्रा (पव्वा, अध्धा या बोतल) में उपलब्ध नहीं हैं।
इस तरह की कमी के कारण के बारे में पूछे जाने पर, आउटलेट कीपर के पास कहने के लिए एक ही शब्द है कि ‘आपूर्ति श्रृंखला की समस्या’ बनी हुई है। कई अन्य कारणों में, कमी का एक महत्वपूर्ण कारक नई नीति है, जिसके कारण वर्तमान में बाजार में संचालित होने वाली शराब की दुकानों की संख्या में तेज गिरावट आई है।
एक उद्योग विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “वर्तमान में केवल 464 दुकानें ही बाजार में चल रही हैं, जबकि दिल्ली जैसे शहर में निवासियों के लिए लगभग 850 आउटलेट होने चाहिए।”
क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि नीति अच्छी है, लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन अच्छा नहीं है। भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मेरा मानना है कि आबकारी नीति मौलिक रूप से अच्छी है। यह शराब की बिक्री और खपत पर एक अलग और प्रगतिशील नजर डालती है, जो एक आधुनिक महानगर (दिल्ली) है। हालांकि, मुझे लगता है कि जमीन पर कार्यान्वयन कम हो गया है। यह बहुत धीमा, टुकड़ों में बंटा हुआ और व्यापार के प्रति ऐतिहासिक नौकरशाही की उदासीनता से ग्रस्त है। वहीं इसकी अवधारणा में, क्षेत्रों का आकार बहुत बड़ा है।”
गिरी ने कहा कि उद्योग ने लाइसेंसधारियों के वित्तीय दांव को कम करने, हानि वहन करने की क्षमता में सुधार करने और एकाधिकार को रोकने के लिए क्षेत्र के आकार को छोटा रखने का मामला बार-बार उठाया है। गिरी ने आईएएनएस से कहा, “हमने लाइसेंस के स्वामित्व में बदलाव जैसे परिचालन संबंधी मुद्दों में अधिक सरलता और लचीलेपन का भी सुझाव दिया है। मेरा मानना है कि नीति में कुछ बदलाव करके सभी हितधारकों को सकारात्मक लाभांश दिया जा सकता है।”
विपक्ष का दावा:
केंद्रीय मंत्री और नई दिल्ली से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली शराब नीति के उल्लंघन का आरोप लगाया।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, लेखी ने यह कहते हुए दस्तावेज दिखाए कि उन्होंने शराब कंपनियों को छूट देने में सरकार की विसंगतियों को ‘उजागर’ किया है।
लेखी ने दावा किया, “बिना कैबिनेट की मंजूरी के 14 जुलाई 2022 को फर्मों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी गई।”
उन्होंने आगे दावा किया कि एक अन्य उदाहरण में, एक कंपनी को उसकी 30 करोड़ रुपये की बयाना जमा राशि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना वापस कर दी गई थी।