N1Live Entertainment एक्सक्लूसिव: उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने किया याद, बताया ‘बनारस की संस्कृति के थे सच्चे प्रतीक’
Entertainment

एक्सक्लूसिव: उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने किया याद, बताया ‘बनारस की संस्कृति के थे सच्चे प्रतीक’

Exclusive: Padma Shri Rajeshwar Acharya remembers Ustad Bismillah Khan, says he was 'a true symbol of Banaras culture'

वाराणसी, 21 मार्च (आईएएनएस)। शहनाई के छोटे-छोटे छिद्रों पर अपनी जादू भरी उंगलियां फेरकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाले ‘शहनाई के जादूगर’ और भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज 109वीं जयंती है। इस मौके पर पद्मश्री, जलतरंग वादक और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजेश्वर आचार्य ने उस्ताद को ‘बनारस की संस्कृति का सच्चा प्रतीक’ बताया और उनसे जुड़े एक किस्से का जिक्र किया।

राजेश्वर आचार्य ने बताया, “ भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां काशी या बनारस की संस्कृति के सच्चे प्रतीक हैं। वह सभी विचारधाराओं और धर्मों के प्रति सम भाव रखते थे। कला का मर्म सभी को आनंद प्रदान करना होता है और वही ‘आनंद’ (आनंदवन) काशी का मूल स्वभाव है। काशी वासी उस आनंद स्वरूप बाबा विश्वनाथ को संगीत के माध्यम से अपना भाव अर्पित करते हैं।”

जल तरंग वादक राजेश्वर आचार्य ने उस्ताद से जुड़े एक किस्सा भी सुनाया। बोले, “ उस्ताद का मानना था कि शहनाई को भी विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में शामिल किया जाए। इस पर लोग रिसर्च करें, पढ़ाई करें, जब मैंने एक प्रेस वार्ता के दौरान यह मुद्दा उठाया था कि शहनाई को भी पढ़ाई के रूप में शामिल करना चाहिए, तब उन्होंने मेरी बात का समर्थन किया था। कहा था कि शहनाई गुरु-शिष्य परंपरा तक सीमित न हो बल्कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के रूप में इसका विस्तार होना चाहिए।“

उन्होंने आगे बताया, “उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के बारे में सभी जानते हैं कि उन्होंने अपना आरंभिक रियाज काशी के बालाजी मंदिर के समक्ष बैठकर किया और वहीं से उन्हें प्रसिद्धि भी मिली। चाहे वह मंदिरों का संगीत हो या मोहर्रम के अवसर पर शहनाई का नजराना हो प्रत्येक पक्ष में राग से अनुराग करते हुए उन्होंने चैती, ठुमरी, कजरी, होरी, सोहर आदि इन सभी आयामों को शहनाई के माध्यम से प्रसार दिया। भारत के संगीत के साथ-साथ बनारस के संगीत को भी उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने प्रतिष्ठा प्रदान की।”

राजेश्वर आचार्य ने उस्ताद को न केवल भारत बल्कि विश्व का भी रत्न बताया। उन्होंने कहा, “वह एक गुणी कलाकार के साथ खाटी बनारसी भी थे। भारत के साथ वह विश्व के भी रत्न थे।“

बता दें, आज देश भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को उनकी 109वीं जयंती पर याद कर रहा है। उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

–आईएएनएस

एमटी/केआर

Exit mobile version