गेहूं की खरीद का मौसम शुरू हो चुका है और अनाज मंडियों में आवक में तेजी आई है। हालांकि, किसान अक्सर खरीद में देरी की शिकायत करते हैं क्योंकि एजेंसियां अधिक नमी की वजह से स्टॉक खरीदने से मना कर देती हैं। अनाज मंडियों में खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में उपज में नमी की मात्रा अहम भूमिका निभाती है।
गेहूं में नमी की मात्रा की निर्धारित सीमा 12 प्रतिशत है, लेकिन बारिश, कम तापमान और समय से पहले कटाई के कारण किसान अक्सर अधिक नमी वाली फसल लेकर अनाज मंडियों में पहुंच जाते हैं। खरीद के दौरान नमी मीटर की मदद से नमी की मात्रा की जांच की जाती है। नमी की मात्रा अधिक होने पर खरीद एजेंसियां गेहूं खरीदने से मना कर देती हैं और किसानों को नमी कम होने का इंतजार करना पड़ता है। इससे अनाज मंडियों में नई आवक के लिए जगह की कमी भी हो जाती है।
हाल ही में हुई बारिश के बाद फसल में नमी की मात्रा बढ़ गई है। इसलिए किसानों और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत विपक्षी नेताओं ने गेहूं में नमी की छूट सीमा 12 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी करने की मांग उठाई है, ताकि किसानों को राहत मिल सके। पूर्व सीएम ने कहा कि किसानों की शिकायत है कि सरकारी एजेंसियां बेमौसम बारिश के कारण गेहूं में नमी की मात्रा अधिक होने का हवाला देकर गेहूं खरीदने से मना कर रही हैं।
खरीद एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि गेहूं के स्टॉक में नमी की मात्रा अधिक होने से अनाज की गुणवत्ता और वजन में कमी आ सकती है, साथ ही फफूंद लगने और खराब होने का खतरा भी हो सकता है। अधिक नमी वाली उपज भंडारण के लिए अनुपयुक्त होती है।
नमी की मात्रा अधिक होने के कारण एजेंसियों को खरीद में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुरुक्षेत्र के जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक ने कहा कि किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसल को अच्छी तरह से सुखाकर और साफ करके लाएं, ताकि उन्हें अनाज मंडियों में इंतजार न करना पड़े। नमी की मात्रा 12 प्रतिशत होनी चाहिए। किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल को पूरी तरह पकने तक न काटें, अन्यथा उन्हें फसल में नमी की मात्रा अधिक होने की समस्या का सामना करना पड़ेगा।