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हिंदी के मशहूर साहित्यकार दूधनाथ सिंह, जिन्होंने लेखनी के जरिए साहित्य जगत को किया रोशन

Famous Hindi litterateur Doodhnath Singh, who illuminated the literary world through his writing.

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर । ‘जब तुम्हें लिखकर भी भूल नहीं पाऊंगा तो… चुप हो जाऊंगा’, ‘यह सब-कुछ कितना अनहोना है, कितना अविश्वसनीय और कितना अदृष्ट’, ‘सागर-तीर तरंगाकुल भाषा में सूख रहा हूं, खजूर वन की रभस-छायाओं में ईर्ष्या-कृशकाय, पवन-वन्या के एहसास में अस्थिर, लहर-लहर में टटोल रहा हूं’। भले ही कविता बदल जाए, अगर कुछ नहीं बदलता है तो वह इन रचनाओं के जरिए ढूंढने वाला एक जवाब। हिंदी के मशहूर साहित्यकारों में शुमार दूधनाथ सिंह अपनी कविताओं के जरिए जिंदगी की संवेदनाओं को स्याही के जरिए कागज में पिरोने का काम करते थे।

उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए हिंदी भाषा के प्रसिद्ध लेखक, आलोचक और कवि के रूप में पहचान स्थापित की। दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ। एक किसान परिवार से आने वाले दूधनाथ के सिर से बहुत ही कम उम्र में माता का साया उठ गया।

उनकी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव में ही हुई। बाद में उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए प्रयागराज (इलाहाबाद) का रुख किया। यहां उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में एमए किया। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने कोलकाता (कलकत्ता) में अध्यापक के तौर पर की और बाद में वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सेवाएं देने के लिए वापस आ गए।

यहीं से उनमें कविताएं और नाटक लिखने में रुचि बढ़ी। रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी को लेखनी के प्रति समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी कहानियों के जरिए भारत के पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को रू-ब-रू कराने की कोशिश की।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के करीबी रहे दूधनाथ सिंह ने ‘आखिरी कलाम’, ‘लौट आओ धार’, ‘निराला : आत्महंता आस्था’, ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘यमगाथा’, ‘धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे’ जैसी रचनाएं लिखीं।

इसके अलावा उन्होंने तीन कविता संग्रह भी लिखें, जिसे खूब पसंद किया गया। जिनमें ‘अगली शताब्दी के नाम’, ‘एक और भी आदमी है’, ‘युवा खुशबू’, ‘सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता) और ‘तुम्हारे लिए’ भी शामिल है।

हिंदी भाषा के प्रसिद्ध लेखक, आलोचक और कवि दूधनाथ सिंह को ‘भारतेंदु सम्मान’, ‘शरद जोशी स्मृति सम्मान’, ‘कथाक्रम सम्मान’, और ‘साहित्य भूषण सम्मान’ से नवाजा गया। कैंसर से पीड़ित दूधनाथ सिंह ने दिल का दौरा पड़ने के बाद 11 जनवरी, 2018 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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