N1Live Punjab फतेहगढ़ साहिब के सांसद ने ‘गंभीर’ कृषि संकट के लिए केंद्र, राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया
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फतेहगढ़ साहिब के सांसद ने ‘गंभीर’ कृषि संकट के लिए केंद्र, राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया

फतेहगढ़ साहिब से सांसद एवं भारतीय खाद्य निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. अमर सिंह बोपाराय ने आज आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की छिपी हुई मंशा और राज्य सरकार का कुप्रबंधन पंजाब को ‘गंभीर’ कृषि संकट की ओर धकेल रहा है।

जिले के विभिन्न अनाजों में धान की खरीद और उठान से संबंधित मुद्दों को सुनने के बाद द ट्रिब्यून से बात करते हुए बोपाराय ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों को सबक सिखाने के इरादे से जानबूझकर देश में चावल की प्रचुरता पैदा की है।

बोपाराय ने कहा, “चूंकि विश्व इस समय कई सशस्त्र संघर्षों का सामना कर रहा है, इसलिए भारत को किसानों की उपज को प्रीमियम मूल्य पर बेचने का अवसर मिल सकता था और इसका लाभ कृषि क्षेत्र को मिल सकता था।” उन्होंने खेद व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री ने युद्ध प्रभावित देशों को चावल निर्यात करने के बजाय अधिशेष पैदा करने का विकल्प चुना, जिससे सीमावर्ती राज्य ऐसी स्थिति में पहुंच गया, जहां उत्पादकों, चावल मिल मालिकों और कमीशन एजेंटों सहित सभी हितधारक नुकसान में थे।

कांग्रेस सांसद ने आप के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर ‘घोर कुप्रबंधन’ का आरोप लगाते हुए कहा कि खरीद सीजन से करीब 4-5 महीने पहले विभिन्न विभागों द्वारा अच्छी तरह से समन्वित और संगठित तैयारियाँ की जानी चाहिए। उन्होंने खरीद की तैयारी के प्रमुख तरीकों में बोरियों के लिए निविदाएँ, अनाज मंडियों की मरम्मत और रखरखाव, कमीशन एजेंटों और चावल मिल मालिकों के साथ बैठकें शामिल हैं।

बोपाराय ने अफसोस जताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में अपनी नींद से जागे जब उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक की, जबकि उन्हें बहुत पहले ही प्रधानमंत्री से मिलकर उनका ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित करना चाहिए था।

फतेहगढ़ साहिब संसदीय क्षेत्र के लुधियाना और मलेरकोटला क्षेत्र के धान उत्पादकों की मांगों को उचित ठहराते हुए बोपाराय ने सरकारी एजेंसियों से बिना किसी देरी के खरीद, उठान और भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया। सांसद ने कहा, “अगर प्रशासन ने अभी प्रयास तेज नहीं किए तो स्थिति हाथ से निकल जाएगी।”

इस बीच, मलेरकोटला की डीसी डॉ. पल्लवी ने दावा किया कि 51.35 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले किसानों के खातों में 57.87 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं। इसके अलावा, सोमवार तक मंडियों में आए 29,298 मीट्रिक टन धान में से 26,816 मीट्रिक टन धान की खरीद होने की सूचना है। प्रशासन ने दावा किया कि खरीद के 72 घंटों के भीतर 18,337 मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया।

 

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