N1Live Himachal दावत या उपद्रव? ‘जंगली मुर्गे’ पर हिमाचल की राजनीतिक लड़ाई में आया मसालेदार मोड़
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दावत या उपद्रव? ‘जंगली मुर्गे’ पर हिमाचल की राजनीतिक लड़ाई में आया मसालेदार मोड़

Feast or fuss? Himachal's political fight over 'wild chicken' takes a spicy turn

यह अजीब लग सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक लड़ाई एक लजीज लड़ाई बन गई है, जिसमें एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए “जंगली मुर्गा” और “फुल्के” का हवाला दिया जा रहा है।

कांग्रेस सरकार के लिए ताजा विवाद शिमला जिले के चौपाल क्षेत्र के कुपवी गांव में जंगली मुर्गा परोसने को लेकर है, जहां मुख्यमंत्री ने बीती रात ग्रामीणों के साथ बिताई थी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को कल रात खाने में ‘जंगली मुर्गा’ परोसे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

हालांकि मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह इसे नहीं खाते हैं, लेकिन उन्होंने गांव वालों से कहा कि वे इसे अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल को परोसें, जो उनके बगल में बैठे थे और अन्य लोगों के साथ फर्श पर बैठकर खा रहे थे।

विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने सीएम पर निशाना साधने का मौका नहीं गंवाया और ट्वीट किया कि जिन लोगों को भाजपा शासन के दौरान जन मंच कार्यक्रम में फुल्के परोसने पर आपत्ति थी, वे आज जंगल मुर्गा का लुत्फ उठा रहे हैं। कांग्रेस ने पिछली भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने जन शिकायतों को सुनने के लिए आयोजित जन मंच कार्यक्रम में लोगों को फुल्के (चपाती) और भोजन खिलाने पर करोड़ों खर्च किए थे।

यह घटना समोसा विवाद के कुछ समय बाद घटित हुई है, जहां मुख्यमंत्री की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह के दौरान गायब हुए समोसों का पता लगाने के लिए पुलिस की सीआईडी ​​शाखा द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे।

भाजपा नेता चेतन बरागटा ने कहा कि मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

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