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फिरोजपुर सरकारी अस्पताल में नियमित नेत्र विशेषज्ञ नहीं, मरीज परेशान

2014 में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान 5.5 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित अत्याधुनिक नेत्र अस्पताल किसी भी ‘सुपर स्पेशलिस्ट’ डॉक्टर की अनुपस्थिति और खराब रखरखाव के कारण ‘सफेद हाथी’ बन गया है। जब इस परियोजना को शुरू किया गया था, तो ग्लूकोमा, रेटिना, भेंगापन और कॉर्निया से संबंधित समस्याओं के लिए चार सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर इस अस्पताल में शामिल होने वाले थे; हालाँकि, अभी तक ऐसा कोई विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया गया है।

मरीजों की परेशानी को और बढ़ाते हुए यहां कार्यरत एकमात्र नेत्र विशेषज्ञ का भी तबादला कर दिया गया है, जिससे अस्पताल में अब कोई डॉक्टर नहीं रह गया है।

सिविल अस्पताल परिसर में बने इस नेत्र चिकित्सालय की तीन मंजिला इमारत में पांच कमरे ओपीडी के लिए, दो ऑपरेशन थियेटर, दो डार्क रूम, एक नेत्र वार्ड और चार अतिरिक्त कमरे हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश कमरे दिन भर बंद रहते हैं। इमारत की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। नेत्र चिकित्सा कुर्सियां, स्लिट लैंप, टोनोमीटर और अन्य गैजेट समेत महंगे उपकरण धूल खा रहे हैं।

नियमित नेत्र विशेषज्ञ के तबादले के कारण दूर-दराज के इलाकों से आने वाले मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। अपनी बेटी रमणीक कौर (14) की आंखों की जांच के लिए रखड़ी गांव से यहां आए तरलोक सिंह ने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें पता चला कि विशेषज्ञ डॉक्टर सप्ताह में दो दिन ही उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा, “हमें सोमवार को फिर आना पड़ेगा क्योंकि विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं थे।”

सबुआना गांव के निवासी सुखचैन सिंह भी अपनी बेटी संदीप कौर के साथ अस्पताल आए थे। उन्होंने बताया, “मेरी बेटी की आंखों में कुछ दिक्कतें थीं। हम सामान्य आंखों की जांच के बाद वापस जा रहे हैं। यह देखकर दुख होता है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत में इन सुविधाओं पर डॉक्टर ही नहीं मिलते।

एसएमओ डॉ. निखिल गुप्ता ने बताया कि यहां नेत्र विशेषज्ञ के तौर पर कार्यरत डॉ. दीक्षित सिंगला के तबादले के बाद जीरा सिविल अस्पताल से डॉ. रंजीत सिंह करीर को यहां प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि वे सप्ताह में दो बार यानी सोमवार और गुरुवार को जिला नेत्र अस्पताल आएंगे। उन्होंने बताया कि अस्पताल में मोतियाबिंद से संबंधित ऑपरेशन किए जा रहे हैं, लेकिन गंभीर मरीजों को सरकारी मेडिकल कॉलेज रेफर किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजविंदर कौर ने कहा कि उन्होंने डॉक्टरों की कमी के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। “हम मौजूदा जनशक्ति संसाधनों को व्यवस्थित करके स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।”

एंटी क्राइम एंटी ड्रग (इंडिया) के अध्यक्ष नवीन शर्मा कहते हैं, “यह चिंता की बात है कि पिछले कुछ समय से कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर यहां लंबे समय तक नहीं रहा है। यहां नियुक्त किए गए डॉक्टर भी किसी न किसी बहाने से अपना तबादला करवा लेते हैं। सरकार को इन पहलुओं पर गौर करना चाहिए और यहां स्थायी डॉक्टर नियुक्त करने चाहिए।”

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