केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में इनकम टैक्स बिल, 2025 का रिवाइज्ड वर्जन पेश किया, जिसमें भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय चयन समिति द्वारा की गई अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया गया है।
लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिन्हें सही विधायी अर्थ प्रदान करने के लिए शामिल किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “ड्राफ्टिंग के नेचर, वाक्यांशों के अलाइनमेंट, परिणामी परिवर्तनों और क्रॉस रेफरेंसिंग में सुधार किए गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि भ्रम से बचने के लिए पहले वाले बिल को वापस ले लिया गया था। उन्होंने कहा कि रिवाइज्ड बिल निष्पक्षता और स्पष्टता में सुधार करेगा और कानून को मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाएगा।
नए ड्राफ्ट का उद्देश्य सांसदों को एक सिंगल, अपडेटेड वर्जन प्रदान करना है, जो सभी सुझाए गए परिवर्तनों को दर्शाता है।
अपडेटेड इनकम टैक्स बिल 2025 में संसदीय चयन समिति के 285 सुझाव शामिल हैं। नए कानून का उद्देश्य कर प्रक्रियाओं को सरल बनाना और पिछली कमियों को दूर करना है, जिससे देश में आयकर परिदृश्य में संभावित रूप से बदलाव आ सकता है।
पिछले सप्ताह, इनकम टैक्स बिल, 2025 को सरकार ने औपचारिक रूप से वापस ले लिया, जिसे 13 फरवरी को लोकसभा में मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के स्थान पर पेश किया गया था।
इस कानून की समीक्षा के लिए जिम्मेदार संसदीय चयन समिति के अध्यक्ष पांडा के अनुसार, नया कानून, पारित होने के बाद, भारत के दशकों पुराने कर स्ट्रक्चर को सरल बनाएगा, कानूनी उलझनों को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं तथा एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद करेगा।
पांडा के अनुसार, वर्तमान इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में 4,000 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से ज्यादा शब्द हैं। यह बहुत जटिल हो गया है। नया बिल इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है, जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं अधिक आसान हो जाता है।
संसदीय समिति ने कई ड्राफ्टिंग एरर को फ्लैग किया था और अस्पष्टता को कम करने के लिए संशोधनों का सुझाव दिया था।
सरकार के अनुसार, रिवाइज्ड बिल में सभी करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए गए हैं। नए स्ट्रक्चर से मिडल क्लास के करों में कमी आएगी और उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
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