January 26, 2025
National

केरल में 24 प्रतिशत मुस्लिम वोट किसके लिए गेम चेंजर – माकपा या कांग्रेस?

For whom will 24 percent Muslim votes in Kerala be a game changer – CPI(M) or Congress?

तिरुवनंतपुरम, 9 अप्रैल । केरल में 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में बस कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में सभी की निगाहें राज्य में करीब 24 प्रतिशत मुसलमानों के वोटिंग पैटर्न पर हैं, जो गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

इसे केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से बेहतर कोई नहीं जानता। वह पिछले एक सप्ताह से राज्य भर में वामपंथियों के लिए अपने अभियानों के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और वामपंथी इसे कैसे देखते हैं, इस पर जोर दे रहे हैं।

सीएम विजयन भी कथित तौर पर सीएए का मुद्दा नहीं उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं।

केरल की 3.30 करोड़ आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 24 फीसदी है, वहीं ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी 17 फीसदी है। हालांकि, ईसाई समुदाय का मतदान पैटर्न कुल मिलाकर वही रहता है, जिसमें कांग्रेस को थोड़ी बढ़त मिलती है।

2019 के लोकसभा चुनाव में वामपंथियों का काफी खराब प्रदर्शन रहा था। वह सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रहे, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने 19 सीटें जीतीं और भाजपा का कमल खिलने में विफल रहा।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वामपंथी की हार के दो प्रमुख कारण थे। इनमें से एक था वायनाड के उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी का आना और दूसरा सीएम विजयन द्वारा लिया गया सबरीमाला मंदिर पर गलत रुख। 2019 के दौरान मुसलमानों ने कांग्रेस को भारी संख्या में वोट दिया था।

हालांकि, सीएम विजयन ने इस ट्रेंड को उलट दिया और उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनावों में राज्य में पद बरकरार रखकर एक रिकॉर्ड बनाया। उनकी जीत के पीछे वामपंथियों के लिए बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोट को निर्णायक फैक्टर माना जाता है।

नाम न छापने की शर्त पर एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में मतदान का पैटर्न स्पष्ट था। इस बार भी मुस्लिम समुदाय जिस तरह से सोचता है, वह निर्णायक फैक्टर हो सकता है।”

विश्लेषक ने कहा, “वामपंथी और कांग्रेस मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दरअसल जो कोई भी उनके वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल करेगा वह फायदे में होगा।”

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए तीसरे स्थान पर रहा और मात्र 15.64 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर पाया।

वहीं 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को 47.48 प्रतिशत वोट मिले और माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे को सिर्फ एक सीट मिली, जिसे 36.29 प्रतिशत वोट मिले।

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