बेंगलुरु, 30 दिसंबर । वरिष्ठ भाजपा नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि बर्बरता और हिंसा के सिलसिले में ‘कन्नड़ रक्षण वेदिके’ प्रमुख टी.ए. नारायण गौड़ा और अन्य की गिरफ्तारी के बाद उन्हें ‘दुख’ पहुंचा है। 27 दिसंबर को स्थानीय भाषा को प्रमुखता देने की मांग के साथ कई व्यावसायिक दुकानों के अंग्रेजी पोस्टर फाड़ दिए गए।
कवि, नाटककार और उपन्यासकार कुवेम्पु की जयंती के अवसर पर पुनर्निर्मित राष्ट्रकवि कुवेम्पु सभागार के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पूर्व सीएम ने कहा, “समय की जरूरत है कि उन कार्यकर्ताओं का समर्थन करें।”
बोम्मई ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने कन्नड़ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर 2,000 से ज्यादा मामलों को वापस लेने का आदेश दिया था।
“मौजूदा स्थिति का कारण साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा पर कोई सख्त नियम नहीं होना है। हमारी (पिछली) सरकार कन्नड़ के लिए एक विधेयक लेकर आई। यह दुख की बात है कि आजादी के 75 साल बाद भी उन्हें कर्नाटक में कन्नड़ को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए कानून लागू करना पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा, “कन्नड़ कार्यकर्ता नियम को लागू न करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं… और जहां साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा प्रदर्शित होती है, वहां आंदोलन नहीं किया गया। उन जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जहां नियम लागू नहीं किए गए हैं।”
बोम्मई ने कहा कि कन्नड़ साहित्य परिषद ने कन्नड़ भाषा के अस्तित्व के लिए बहुत प्रयास किए हैं।
भाजपा नेता ने कहा, “अगर कन्नडिगा चाहते हैं कि कन्नड़ भाषा हमेशा प्रासंगिक बनी रहे, तो उन्हें जागृत होना होगा।”
इस बीच, कुवेम्पु को “विश्वमानव” बताते हुए बोम्मई ने कहा कि कुवेम्पु का व्यक्तित्व अलग था और उन्हें “युग पुरुष” कहा जा सकता है।
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