हरियाणा के पूर्व गृह, विधि एवं न्याय मंत्री सुभाष बत्रा ने मंगलवार को आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में हरियाणा सरकार द्वारा अपनाए जा रहे तरीके पर गहरी चिंता और क्षोभ व्यक्त किया। यहाँ जारी एक प्रेस बयान में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार को बचाने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी सहित शीर्ष आईपीएस और आईएएस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पूरन कुमार का तबादला उनके गनमैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से पहले ही कर दिया गया था। बत्रा ने कहा कि राज्य सरकार की सहमति के बिना पूरन कुमार का तबादला नहीं किया जा सकता था।
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर इस हाई-प्रोफाइल मामले में अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। बत्रा ने मांग की कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई या उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश द्वारा गहन एवं उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वह और उनकी पार्टी मृतक आईपीएस अधिकारी के परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी है और उन लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में दर्ज एफआईआर में नामित वरिष्ठ आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के साथ दबाव में कोई अन्याय नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी भी अच्छी साख और बेदाग सेवा रिकॉर्ड है।
उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की गरिमा भी बरकरार रखी जानी चाहिए।
पूर्व मंत्री ने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि निहित राजनीतिक और अन्य स्वार्थी तत्वों द्वारा मामले को जातिगत रंग दिया जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्षी दलों को इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, बल्कि भाजपा सरकार पर उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने के लिए दबाव बनाने का संयुक्त प्रयास करना चाहिए ताकि पीड़ित परिवार के साथ-साथ आरोपी अधिकारियों को भी न्याय मिल सके।
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