पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता प्रोफेसर संपत सिंह ने गुरुवार को कहा कि भाजपा सरकार को किसानों के ज्वलंत मुद्दों का संज्ञान लेना चाहिए और इसके समाधान के लिए कदम उठाने चाहिए।
यहां जारी एक प्रेस नोट में सिंह ने कहा कि हरियाणा में चालू रबी बुआई सीजन के दौरान डीएपी खाद का संकट गहरा गया है। उन्होंने कहा, “अगर खाद समय पर उपलब्ध नहीं हुई तो फसल की बुआई में देरी होगी और इससे किसानों को नुकसान होगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और अधिकारी बार-बार लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद की उपलब्धता के बारे में गुमराह कर रहे हैं, जबकि किसानों को खाद की कमी के कारण उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
संपत सिंह, पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता उन्होंने आरोप लगाया, “किसान डीएपी और यूरिया खाद पाने के लिए मारामारी कर रहे हैं और रात में भी घंटों कतारों में खड़े हैं। लंबे इंतजार के बाद भी उन्हें ब्लैक मार्केट से महंगे दामों पर खाद की बोरियां खरीदनी पड़ रही हैं।” उन्होंने कहा कि खाद विक्रेता किसानों को खाद की बोरियां उपलब्ध कराने के बाद नैनो यूरिया, सल्फर, जिंक, सागरिका, खल और चूरी आदि की बोरियां खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार किसानों को 24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का दावा करती है। लेकिन धरातल पर फसल खरीद के समय किसान परेशान होते हैं। इस बार सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीद का समय तय किया था। लेकिन धान में नमी का बहाना बनाकर पूरे महीने किसानों को परेशान किया गया। अंत में किसान परेशान हो गए और उन्हें बहुत कम दामों पर अपना धान बेचना पड़ा।
इसी तरह मूंग की खरीद के लिए तीन क्विंटल प्रति एकड़ की शर्त रखी गई है। सिंह ने आरोप लगाया कि मूंग उगाने वाले किसानों को अपनी आधी उपज बेहद कम दामों पर बेचनी पड़ रही है। उन्होंने मांग की कि पराली जलाने पर किसानों को सख्त कानून का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की बुआई में देरी हो रही है। किसान की फसल बाजार में खुले में पड़ी है। किसानों की इन सभी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाना चाहिए।