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गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजिस्टों की चार दिवसीय बैठक शुरू

Four day meeting of microbiologists begins in Guru Jambheshwar University

एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स इंडिया (AMI) का 65वां वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (GJUST) में शुरू हुआ। ‘मानव कल्याण के लिए सूक्ष्मजीवों के परिप्रेक्ष्य’ विषय पर चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन GJUST, AMI और अकादमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजिकल साइंसेज (AMSC) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में आयोजित उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई सम्मेलन के मुख्य संरक्षक के रूप में उपस्थित थे। सम्मेलन की अध्यक्षता भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), कोलकाता के निदेशक प्रोफेसर एसके खरे ने की।

सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया सहित 35 देशों के 50 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वक्ता भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में पांच पद्म भूषण, छह पद्म श्री और चार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता भाग लेंगे।

प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कहा कि पहले सूक्ष्मजीवों को केवल बीमारी पैदा करने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब उन्हें बीमारियों को ठीक करने का माध्यम माना जाता है। भारत में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बीमारियों की पहचान करने के लिए सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्राचीन काल से ही सूक्ष्म जीवों की मदद से किण्वित खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद थे। दही का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दही लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया की मदद से बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए जैव उर्वरक फायदेमंद हैं।

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