September 8, 2025
Entertainment

‘दिल हूम हूम करे’ से लेकर ‘ओ गंगा तू बहती हो क्यों’ तक भूपेन हजारिका के अमर गीत, जिन्होंने दिए खास संदेश

From ‘Dil Hoom Hoom Kare’ to ‘O Ganga Tu Bahti Ho Kyon’, immortal songs of Bhupen Hazarika, which gave a special message

भारत रत्न भूपेन हजारिका की आवाज का हर कोई दीवाना है। उनका हर एक सुर, हर एक बोल सीधे दिल को छू जाता है। उन्हें लोग प्यार से भूपेन दा बुलाते थे। वह शानदार गायक और बेहतरीन संगीतकार थे। उनके गाने में दर्द, प्यार, समाज की सच्चाई और संदेश छिपे होते थे।

भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के सदिया गांव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत से प्रेम था। उनकी मां उन्हें पारंपरिक लोरियां सुनाया करती थीं, और वहीं से उनके दिल में संगीत की लौ जल उठी थी। वह अपने गीतों को खुद ही लिखते, उनका संगीत बनाते और फिर उन्हें गाते भी थे। उनका हर गाना एक सोच लेकर आता था, एक सवाल उठाता था, या फिर गहरे दर्द को सामने रखता था।

उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक ‘दिल हूम हूम करे, घबराए…’ है। यह गाना फिल्म ‘रुदाली’ से है और इसे भूपेन दा ने खुद संगीतबद्ध किया था। इस गीत में दिल की बेचैनी, दर्द और अकेलेपन को इतने सादे लेकिन असरदार शब्दों में कहा गया है कि सुनते ही आंखें नम हो जाती हैं। लता मंगेशकर और भूपेन दा की आवाज ने मिलकर इस गाने को यादगार बना दिया।

भूपेन दा ने सिर्फ प्रेम या दर्द के गीत नहीं गाए, उन्होंने समाज को भी अपने गीतों से आईना दिखाया। उन्होंने ‘ओ गंगा तू बहती हो क्यों…’ के जरिए समाज को संदेश दिया कि देश में नैतिकता खत्म हो रही है, लेकिन गंगा नदी फिर भी शांत तरीके से बह रही है। उनके हर एक गीत के पीछे मकसद और गहरी सोच छुपी होती थी।

उनका एक और गाना जो बहुत ही सुंदर और अर्थपूर्ण है, वह ‘समय ओ धीरे चलो’ है। इसमें भूपेन दा समय से गुजारिश करते हैं कि वह धीरे-धीरे चले, ताकि दुखों से राहत मिल सके, ताकि कुछ खोया हुआ वापस पाया जा सके। इस गीत की भाषा बेहद सरल है और इसका संगीत शांति और गहराई से भरपूर है।

उन्होंने ऐसे कई गाने बनाए जो गरीबों, मजदूरों, महिलाओं और वंचितों की आवाज बने। उनके गीतों में लोक संगीत की मिठास होती थी, लेकिन उनमें एक आधुनिक सोच भी होती थी। उन्होंने असमिया, हिंदी, बांग्ला और कई भाषाओं में गीत गाए और सभी जगहों पर उन्हें उतना ही प्यार मिला।

भूपेश दा के गाने ‘एक कली दो पत्तियां’ में मासूमियत और बर्बरता, दोनों का जिक्र है। यह गाना पहले तो एक बगीचे की सुंदरता और नन्ही कली की बात करता है, फिर अचानक उस कली पर छा जाने वाले अंधेरे का वर्णन करता है। इस गाने में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और समाज की चुप्पी को दिखाया गया है।

भूपेन हजारिका को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, पद्म भूषण, और भारत रत्न जैसे बड़े सम्मान मिले। आज भी लोग उनके गाने सुनना पसंद करते हैं।

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