गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत उन्हें सौंपी गई हरित पट्टियों का रखरखाव और विकास करने में विफल रहने के लिए कम से कम 40 रियल एस्टेट और अन्य कंपनियों को नोटिस जारी किया है।
जीएमडीए के शहरी पर्यावरण प्रभाग के सलाहकार एवं प्रमुख हरदीप सिंह मलिक ने कहा कि उन्होंने इन कम्पनियों को उन्हें आवंटित हरित पट्टियों का विकास शुरू करने तथा उनका नियमित रखरखाव करने के लिए 30 दिन का नोटिस दिया है।
उन्होंने दोषी कम्पनियों से यह भी कहा है कि वे नोटिस प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर अपने निजी प्रतिनिधियों को उनके कार्यालय में भेजकर जवाब प्रस्तुत करें।
उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत हरित पट्टियों के रखरखाव और विकास के लिए जीएमडीए के साथ समझौता किया था, लेकिन विभिन्न क्षेत्रीय निरीक्षण रिपोर्टों में पाया गया कि उन्हें आवंटित हरित पट्टियों का या तो विकास नहीं किया गया या उनका रखरखाव ठीक से नहीं किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल दिसंबर में भी कुछ कंपनियों को नोटिस दिए गए थे। उन सभी ने ग्रीन बेल्ट को विकसित करने और बनाए रखने का काम शुरू कर दिया है। मलिक ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि ये कंपनियां भी अपनी जिम्मेदारी लेंगी और हमारे साथ हुए एमओयू के अनुसार काम शुरू करेंगी।”
उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ कंपनी की सहायक कंपनी डीएलएफ फाउंडेशन को भी नोटिस भेजा गया है। नोटिस के अनुसार, डीएलएफ सेक्टर 56 और 58 को विभाजित करने वाली सड़क के दोनों ओर ग्रीन बेल्ट और सेंट्रल वर्ज को विकसित करने और बनाए रखने में विफल रही है।
नोटिस में कहा गया है, “डीएलएफ फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन रद्द कर दिया जाएगा और सड़क किसी अन्य कंपनी को आवंटित कर दी जाएगी या ग्रीन बेल्ट का रखरखाव जीएमडीए द्वारा किया जाएगा।”
इस बीच पता चला कि जीएमडीए ने सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट के रखरखाव के लिए 127 कंपनियों के साथ एमओयू साइन किया था। इसके बाद इन कंपनियों ने ग्रीन बेल्ट के रखरखाव का ठेका एक ‘पसंदीदा’ ठेकेदार को दे दिया। इस तरह इन सभी कंपनियों ने सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट के रखरखाव का काम जीएमडीए अधिकारियों की सहमति से अपने-अपने हिसाब से केंद्रीकृत कर लिया। कुछ कंपनियों ने ग्रीन बेल्ट के रखरखाव के लिए फंड तो जारी कर दिया, लेकिन जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ।
इसके अलावा, यह भी पता चला है कि प्रमुख सड़कों और चौराहों के किनारे कई हरित पट्टियों को शराब ठेकेदारों को पट्टे पर दे दिया गया है, ताकि वे वहां बड़ी शराब की दुकानें, अहाते, अनाधिकृत पार्किंग और पानी, सोडा, कोल्ड ड्रिंक, मिष्ठान्न आदि बेचने के लिए खोखे बना सकें। ये शराब की दुकानें पिछले कई वर्षों से हरित पट्टियों पर चल रही हैं।
इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में जीएमडीए, एनएचएआई, एमसी और राज्य के लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाए जा रहे ग्रीन बेल्ट और सड़क के किनारे हजारों की संख्या में अतिक्रमण हो गए हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।