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जमीन सौंपने के लिए आईआईटी की मंजूरी का इंतजार कर रही गोवा सरकार: सीएम सावंत

Goa government waiting for IIT's approval to hand over land: CM Sawant

पणजी, 1 जनवरी । गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को कहा कि संस्थान की मंजूरी मिलने के बाद उनकी सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) परियोजना के लिए जमीन सौंप देगी।

तीन स्थानों पर विरोध का सामना करने के बाद, गोवा सरकार ने दक्षिण गोवा के संगुएम निर्वाचन क्षेत्र में रिवोना में एक जगह की पहचान की थी, जिसे स्थानीय पंचायत से हरी झंडी मिल गई थी।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने यहां संवाददाताओं से कहा, “आईआईटी अधिकारियों द्वारा भूमि का निरीक्षण किया गया है। लेकिन अभी तक हमें उनसे ‘जमीन की मंजूरी’ नहीं मिली है। हम उनकी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। एक बार हमें यह मिल जाए तो हम कह सकते हैं कि जमीन फाइनल हो रही है। बाद में हम उन्हें जमीन देंगे।”

संगुएम विधायक और पुरालेख एवं पुरातत्व मंत्री, सुभाष फलदेसाई के अनुसार, पंचायत ने आईआईटी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए अक्टूबर में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया।

उन्होंने कहा, “ग्राम सभा में लगभग 300 लोग उपस्थित थे, उन सभी ने परियोजना का समर्थन किया। यह उन लोगों पर करारा तमाचा है जो आईआईटी परियोजना के बारे में झूठी बातें गढ़ रहे थे। मैं रिवोना पंचायत द्वारा लिए गए संकल्प से बहुत खुश हूं क्योंकि इससे स्थानीय लोगों और राज्य को शैक्षिक केंद्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।”

अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में, दक्षिण गोवा कलेक्टर ने इस संबंध में ‘सार्वजनिक सूचना’ जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि “आईआईटी-गोवा के स्थायी परिसर की स्थापना के लिए संगुएम के रिवोना गांव में भूमि की आवश्यकता है या होने की संभावना है।”

चार सर्वेक्षण संख्याओं के तहत पहचानी गई भूमि लगभग 10 लाख वर्गमीटर है।

जुलाई 2016 में स्थापित, आईआईटी गोवा परिसर अस्थायी रूप से पोंडा-दक्षिण जिले में गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी) में स्थित है।

प्रारंभ में दक्षिण गोवा के कैनाकोना में भूमि की पहचान की गई थी, जिसे विरोध के कारण रद्द कर दिया गया था।

बाद में, उत्तरी गोवा के सत्तारी तालुका में शेल-मेलौली में एक जगह की पहचान की गई। लेकिन, यहां लोगों ने यह कहते हुए आंदोलन किया कि इससे पर्यावरण को नुकसान होगा। दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने जमीन का प्रस्ताव रद्द कर दिया। तीसरी बार, संगुएम के कोटारली में भूमि के एक और टुकड़े की पहचान की गई, लेकिन वहाँ भी विरोध-प्रदर्शन हुए।

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