पणजी, 23 जनवरी । आरक्षण को लेकर लंबे समय से लंबित पड़ी मांगों पर गोवा में अनुसूचित जनजाति समुदाय ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर भाजपा सरकार राजनीतिक आरक्षण की उनकी लंबित मांग को पूरा नहीं करती है तो वे 5 फरवरी को विरोध मार्च निकालेंगे। गोवा विधानसभा का सत्र 2 से 9 फरवरी तक निर्धारित है।
मिशन पॉलिटिकल रिजर्वेशन फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब्स (एमपीआरएसटी) के अध्यक्ष जोआओ फर्नांडीस ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि भाजपा सरकार उन्हें हल्के में ले रही है।
उन्होंने कहा, “कई बार हमने राज्य और केंद्र सरकार से राजनीतिक आरक्षण की हमारी मांग को पारित करने का अनुरोध किया। लेकिन, वे हमें संविधान में उल्लिखित हमारे अधिकार देने में विफल रहे।”
उन्होंने कहा कि हालांकि गोवा विधानसभा ने जुलाई 2023 में एसटी नेता विधायक डॉ. गणेश गांवकर द्वारा पेश एक निजी सदस्य प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया था, जिसमें सरकार से राज्य की अनुसूचित जनजातियों के लिए गोवा विधानसभा में राजनीतिक आरक्षण का प्रावधान करने की सिफारिश की गई थी। सरकार इस मुद्दे पर ‘सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल’ को केंद्र तक ले जाने के प्रयास नहीं कर रही है।
फर्नांडीस ने कहा, “हमने अगले 12 दिनों में हमारी मांग पूरी करने में विफल रहने पर 5 फरवरी को विधान सभा में एक मोर्चा निकालने का फैसला किया है। यह शांतिपूर्ण मोर्चा होगा। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि हमें इस मांग को पारित करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर न करें।”
प्रवक्ता गोविंद शिरोडकर ने कहा कि यह सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है और उन्हें हल्के में ले रही है। मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।
शिरोडकर ने कहा, “हमारी मांग है कि सरकार को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचना जारी करनी चाहिए।”
पिछले दिनों एसटी समुदाय ने रैलियां निकालकर राजनीतिक आरक्षण के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी। उनके अनुसार, गोवा में लगभग 1.30 लाख एसटी मतदाता हैं और इसलिए, उन्हें राजनीतिक आरक्षण दिया जाना चाहिए।
मई 2023 में एसटी समुदाय के सदस्यों ने मडगांव के लोहिया मैदान में एक बैठक की और सरकार द्वारा राजनीतिक आरक्षण की उनकी मांग नहीं माने जाने पर 2024 में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का संकल्प लिया।