मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि राज्य सरकार बिना निर्धारित समय सीमा के चल रही विद्युत परियोजनाओं को अपने अधीन लेने के लिए कानूनी सलाह ले रही है, जिससे हिमाचल के हितों को नुकसान पहुंच रहा है।
सुखू ने यहां बांध सुरक्षा पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो सरकार उन सभी परियोजनाओं को अपने अधीन ले लेगी जिनमें हिमाचल के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि अपार जलविद्युत क्षमता के कारण हिमाचल प्रदेश वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में केंद्र बिंदु बन रहा है।
उन्होंने कहा, “राज्य में बिजली उत्पादन का मुख्य स्रोत नदी का पानी है, लेकिन शुरुआती वर्षों में बिजली कंपनियों को लाइसेंस जारी करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई थी, जो आम तौर पर 35 से 40 साल के लिए होती है। इसकी वजह से राज्य को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।” उन्होंने कहा कि सरकार इन परियोजनाओं को वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
सुखू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों ने राष्ट्रीय हित में अनेक जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है तथा भाखड़ा बांध और पौंग बांध के निर्माण के दौरान इनमें से अनेक लोग विस्थापित हुए थे तथा वे आज भी अपने पुनर्वास अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बांधों के निर्माण के कारण प्रभावित ऐसे परिवारों की शिकायतों के समाधान के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश के लोगों को बिजली क्षेत्र में अपना हिस्सा पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उन्होंने कहा, “एक तरफ जहां जलाशयों में भरपूर पानी होने से खुशहाली आई है, वहीं दूसरी तरफ बरसात के मौसम में बांध का पानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किलें लेकर आता है।”
सुखू ने कहा, “राज्य के लोगों ने 2023 में प्रकृति के प्रकोप का खामियाजा भुगता है, इसलिए हमें ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए पहले से ही खुद को तैयार कर लेना चाहिए।” उन्होंने बांध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अतिरिक्त पानी छोड़ने से पहले परियोजनाओं के जलग्रहण क्षेत्रों के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सचेत करें।
उन्होंने बांधों के निर्माण में गुणवत्ता के साथ-साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके नियमित रखरखाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन और कुछ अन्य कारण हिमालयी क्षेत्र में बांध सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं, जिसके लिए हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
सुखू ने कहा कि सरकार ने बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम बनाया है और इस उद्देश्य के लिए एक बांध सुरक्षा समिति का गठन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि यह समिति राज्य के सभी बांधों के रखरखाव और सुरक्षा की देखरेख करेगी।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी उपस्थित थे।