मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां चौड़ा मैदान में हिमाचल प्रदेश किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की तथा उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
राज्य के बड़ी संख्या में किसानों और बागवानों ने भूमि से बेदखली समेत विभिन्न भूमि संबंधी मुद्दों के समाधान की मांग को लेकर शिमला में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां लेकर पंचायत भवन से अंबेडकर चौक तक मार्च निकाला।
सुखू ने कहा कि किसानों और बागवानों का कल्याण सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है और उन्हें किसी भी हालत में विस्थापित नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट में कृषि ऋण ब्याज अनुदान योजना का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत किसानों की जमीन नीलाम होने से बच जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे किसानों की समस्याओं से अवगत हैं और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि नियमों का उल्लंघन कर बेदखली की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी भूमि बेदखली को अवैध और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन माना है।
किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने कहा कि राज्य में भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, जिससे कृषि भूमि को नुकसान पहुंचता है। पिछले दो सालों में, भूमि के बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचा है, जिससे कुछ किसान भूमिहीन हो गए हैं, यहां तक कि उनके पास घर बनाने के लिए भी पर्याप्त भूमि नहीं है। उन्होंने दावा किया, “ऐसे मामलों में बेदखली जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।”
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